क्या है लेखपाल दुर्गेश चौधरी का मामला, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को क्यों हटाना पड़ा ट्वीट, जानिए
By विनीत कुमार | Published: March 12, 2021 09:54 AM2021-03-12T09:54:24+5:302021-03-12T09:54:24+5:30
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिस के ट्विटर हैंडल से लेखपाल की भर्ती संबंधी किया गया एक ट्वीट विवादों में आ गया। इसके बाद इस वीडियो को डिलीट करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार ये दावा करती रही है कि राज्य में लाखों युवाओं को नौकरी दी गई है। ट्विटर पर वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिस के ट्विटर हैंडल से लेखपाल की भर्ती संबंधी शेयर किया गया एक वीडियो विवादों में आ गया। सोशल मीडिया पर हंगामा मचा और बाद में ट्वीट ही डिलीट कर दिया गया।
पूरे मामले को लेकर विपक्ष ने भी निशाना साधा है। प्रियंका गांधी ने शुक्रवार सुबह ट्वीट कर दावा किया कि राज्य सरकार विज्ञापनों की सरकार है और झूठे प्रचार किए जा रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी यूपी के मुख्यमंत्री के आधिकारिक अकाउंट से किए गए ट्वीट और उसे उसे डिलीट करने को लेकर सवाल खड़े किए है। आईए सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है।
दुर्गेश चौधरी का वीडियो योगी सरकार को पड़ा महंगा!
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिस से ट्विटर हैंडल से 10 मार्च को एक वीडियो शेयर किया गया था। इसमें दुर्गेश चौधरी नाम के शख्स का जिक्र है। दुर्गेश चौधरी इसमें लेखपाल भर्ती परीक्षा के समयबद्ध परिणाम और पारदर्शी चयन प्रक्रिया के लिए सीएम योगी को धन्यवाद देता नजर आ रहा था।
ट्वीट में ये भी लिखा गया था कि दुर्गेश चौधरी की नियुक्ति राजस्व लेखपाल के पद पर पूर्ण पारदर्शिता के साथ हुई है। ट्वीट आने के बाद लोग सवाल करने लगे और ये सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। पहले देखें दुर्गेश चौधरी का वीडियो और वो ट्वीट भी जिसे सीएम के ट्विटर हैंडल से डिलीट किया गया।
Yogi Adityanath's official Twitter handle uploaded this video where a guy named Durgesh Chaudhary claims that "a fair examination has been taken and he has become a Lekhpal"
— Bhakt's Nightmare (@ReportTweet_) March 11, 2021
Truth is that no such recruitment examination has taken place since 2017pic.twitter.com/6bXiaxphzk
दुर्गेश चौधरी के वीडियो पर विवाद क्यों हुआ
दरअसल, वीडियो और सीएम के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट आते ही लोग सवाल करने लगे कि लेखपाल की आखिरी भर्ती तो साल 2015 में हुई थी, फिर दुर्गेश चौधरी का चयन कब और कैसे हुआ।
लेखपाल की भर्ती की प्रक्रिया जब शुरू हुई थी तब अखिलेश यादव की सरकार थी। साल 2016 में भर्ती की प्रक्रिया पूरी भी हो गई और इसके बाद 2017 में योगी आदित्यनाथ की सराकर सत्ता में आई। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार दुर्गेश को साल 2015-16 में नौकरी मिली थी।
विपक्ष का योगी सरकार पर हमला
इस पूरे मुद्दे ने विपक्ष को मौका दे दिया। प्रियंका गांधी ने शुक्रवार सुबह ट्वीट किया, 'विज्ञापन की सरकार। झूठा सारा प्रचार, ट्विटर पर बांटे नौकरी ,युवा को किया दरकिनार। योगीजी, ये जो पब्लिक है, सब जानती है। यूपी के युवाओं से 70 लाख नौकरियों का वादा था मगर लाखों भर्तियां खाली पड़ी हैं। युवा भर्तियों, परिणामों व ज्वाइनिंग का इंतजार करते-करते परेशान हैं।'
वहीं पवन खेड़ा ने लिखा, 'मुख्यमंत्री जी के आधिकारिक अकाउंट से दुर्गेश चौधरी नामक व्यक्ति का वीडियो डाला गया जिसमें उसने लेखपाल की पारदर्शी भर्ती के लिए योगी जो को धन्यवाद दिया। अब पता चला है 5 साल से लेखपाल की कोई भर्ती ही नहीं आयी है, पोल खुलते ही ट्वीट डिलीट कर दिया गया है। मुख्यमंत्री का यह स्तर?'
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी ट्वीट कर योगी सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा कि बीजेपी में झूठ बोलने वालों को जमावड़ा है।
भाजपा में ऊपर से लेकर नीचे तक झूठ बोलने वालों का जमावड़ा है। अब आदित्यनाथ जी को ही देख लीजिये एक नौजवान का फ़र्ज़ी विडीओ डाल दिया नौकरी देने का धन्यवाद भी ले लिया चारों तरफ थू-थू हुई तो विडीओ Delete करना पड़ा।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) March 11, 2021
क्या BJP को अब अपना नाम बदलकर “भारतीय झूठ्ठा पार्टी” रख लेना चाहिये? pic.twitter.com/j9K6ZMWbNl
बहरहाल, फिलहाल बताया जा रहा है कि मामला उछलने के बाद दुर्गेश के पास कई फोन आने लगे। विवाद को देखते हुए वो नेपाल के लिए निकल गया है और किसी का फोन भी रिसीव नहीं कर रहा है।