'कोविड-19 से जंग के लिए चार तरह की वैक्सीन और कई दवाओं पर चल रहा है काम'
By एसके गुप्ता | Published: May 28, 2020 06:33 PM2020-05-28T18:33:44+5:302020-05-28T18:35:38+5:30
नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने कहा कि हमारे देश में बनी दवाएं और वैक्सीन पूरी दुनिया में जाती हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि किस तरह हम पुरानी दवाओं का इस्तेमाल कर महामारी से बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही हम दवाओं के लिए शोध में भी जुटे हैं। बहुत सी दवाएं और टीके हैं। जिन पर दिनरात काम किया जा रहा है। इनमें फैरी,ओरल मेडिसन-फिटो, एसीक्यूएच का ट्रायल चल रहा है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन ने कहा है कि कोरोना वायरस की प्रकृति को देखते हुए देश में चार तरह की वैक्सीन पर काम किया जा रहा है। कोविड वैक्सीन की खोज को लेकर कंपनियां शोध और विकास कार्य में लगी हुई हैं। कुछ कंपनियां साल के अंत तक और कुछ फरवरी तक वैक्सीन बना सकती हैं।
नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डा. वीके पॉल ने गुरूवार को कोविड-19 से जंग में सरकार के प्रयासों और वैक्सीन व दवा खोज की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय दवा उद्योग को वर्ल्ड ऑफ फार्मेसी कहा जाता है। क्योंकि दुनियाभर में इस्तेमाल की जाने वाली अधिकांश वैक्सीन यहां बनती हैं।
उन्होंने हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) इस्तेमाल को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रोक पर कहा कि कोरोना रोगियों और कोरोना रोगियों की देखभाल कर रहे स्वास्थ्य कर्मी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। एचसीक्यू के सेवन से उन्हें लाभ मिला है। देश में अभी भी यह दवा दी जा रही है। क्योंकि हमने जांच में पाया है कि इसका उपयोग सुरक्षित है।
नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने कहा कि हमारे देश में बनी दवाएं और वैक्सीन पूरी दुनिया में जाती हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि किस तरह हम पुरानी दवाओं का इस्तेमाल कर महामारी से बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही हम दवाओं के लिए शोध में भी जुटे हैं। बहुत सी दवाएं और टीके हैं। जिन पर दिनरात काम किया जा रहा है। इनमें फैरी,ओरल मेडिसन-फिटो, एसीक्यूएच का ट्रायल चल रहा है।
इट्रो सुनायक के अलावा बीसीजे के टीके का भी परीक्षण किया जा रहा है। डा. पाल ने कहा कि बीसीजे के टीके में यह देखा गया है कि बालावस्था में बच्चों का टीकाकरण होता है तो उन्हें बीसीजी का टीका लगाया जाता है। अब दोबारा से बीसीसी का टीका लगाने पर रोगी की इम्युनिटी-रोगी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। जिससे कोरोना संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है। इसके अलावा माइक्रो वैक्ट्रीयल ट्रायल, प्लाज्मा थैरेपी और एचसीक्यू के ट्रायल भी जारी है। यह सब ट्रायल अग्रणी श्रेणी में चल रहे हैं।
प्रो. राघवन ने कहा कि देश में चार तरह से वैक्सीन तैयार हो रही हैं। पहले तरीके में एमआरए वैक्सीन बनाई जा रही है। इसमें वायरस का जेनेटिक मैटेरियल लेकर इसे तैयार किया जाता है। दूसरे तरीके में स्टैंडर्ड वैक्सीन बन रही है। इसमें वायरस का एक कमजोर वर्जन लिया जाता है, यह फैलता है, लेकिन इससे बीमारी नहीं होती। तीसरे तरीके में किसी और वायरस के बैकबोन में संक्रमण फैलाने वाले वायरस के प्रोटीन कोडिंग रीजन को लगाकर वैक्सीन बनाते हैं। चौथे तरीके में वायरस का प्रोटीन लैब में तैयार कर दूसरे स्टिमूलस के साथ लगाते हैं।
चार तरह की वैक्सीन अलग-अलग भूगोलिक परिस्थतियों या वातावरण में वायरस की प्रकृति में बदलाव को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक या अगले साल फरवरी तक कुछ कंपनियां यह वैक्सीन बना सकती हैं। वैक्सिन शोध को लेकर राघवन ने कहा कि वैक्सीन निर्माण के लिए तीन तरह काम हो रहा है। पहला हम खुद कोशिश कर रहे हैं। दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और तीसरा हम लीड कर रहे हैं और बाहर के लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं।