महिला अधिकार कार्यकर्ता, कवयित्री और लेखिका कमला भसीन का 75 साल की उम्र में निधन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 25, 2021 01:35 PM2021-09-25T13:35:21+5:302021-09-25T13:44:53+5:30
सामजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने ट्विटर पर बताया कि कमला भसीन ने तड़के करीब तीन बजे अंतिम सांस ली।
नई दिल्लीः नारीवादी कार्यकर्ता, कवयित्री, लेखिका और भारत में महिला अधिकार आंदोलन की दिग्गज कमला भसीन का शनिवार सुबह निधन होवह 75 वर्ष की थीं। सामजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने ट्विटर पर बताया कि भसीन ने तड़के करीब तीन बजे अंतिम सांस ली। वह कैंसर से पीड़ित थीं। भसीन का निधन दिल्ली के एक अस्पताल में हुआ।
भसीन भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में महिला आंदोलन की एक प्रमुख आवाज रही हैं। कविता श्रीवास्तव ने ट्वीट किया, ‘‘हमारी प्रिय मित्र कमला भसीन का 25 सितंबर को तड़के लगभग तीन बजे निधन हो गया। यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने जिंदादिली से जीवन का लुत्फ उठाया। कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी।’’
Kamla Bhasin, our dear friend, passed away around 3am today 25th Sept. This is a big setback for the women's movement in India and the South Asian region. She celebrated life whatever the adversity. Kamla you will always live in our hearts. In Sisterhood, which is in deep grief pic.twitter.com/aQA6QidVEl
— Kavita Srivastava (@kavisriv) September 25, 2021
1970 के दशक से, भसीन भारत के साथ-साथ अन्य दक्षिण एशियाई देशों में महिला आंदोलन में एक प्रमुख आवाज रही हैं। 2002 में, उन्होंने नारीवादी नेटवर्क 'संगत' की स्थापना की, जो ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की वंचित महिलाओं के साथ काम करती है।
भसीन का जन्म 24 अप्रैल 1946 को मंडी बहाउद्दीन जिले में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। विभाजन के बाद, उनका परिवार भारत के राजस्थान आ गया था। नाटकों, गीतों और कला जैसे गैर-साहित्यिक साधनों का उपयोग करती हैं। भसीन ने लिंग सिद्धांत और नारीवाद पर कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से कई का 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
कहा जाता है कि देश में प्रदर्शन स्थलों पर गूंजने वाले ‘आजादी’ के नारे को भसीन ने ही पितृसत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ नारीवादी नारे के रूप में लोकप्रिय बनाया था। लोगों ने भसीन के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘‘कमला भसीन जी के निधन से गहरा दुख हुआ। वह भारत में महिला आंदोलन की अगुवा थीं। उनके परिवार और उनके प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। वह हममें से कई लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेंगी।’’
उच्चतम न्यायालय में वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कमला भसीन न केवल एक महिला अधिकार कार्यकर्ता थीं, बल्कि वह एक परोपकारी महिला भी थीं, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश में जागोरी और राजस्थान में ‘स्कूल फॉर डेमोक्रेसी’ जैसे कई अच्छे जनहित संस्थानों की स्थापना की और उनकी स्थापना में मदद की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बहुतों को उनकी कमी खलेगी। उनकी आत्मा को शांति मिले।’’ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कमला भसीन के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्होंने कई पीढ़ियों पर व्यापक प्रभाव डाला है और वह हमेशा बना रहेगा, जो हमें अपने शब्दों, कृत्यों, कविता, गीत और कहानी के माध्यम से लैंगिक समानता का पाठ पढ़ाती हैं। वह जीवन से प्यार करती थीं, लोगों से प्यार करती थीं।’’
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने भसीन की कविता साझा करते हुए एक संदेश पोस्ट किया, ‘‘महिला सशक्तिकरण की आवाज, बालिका शिक्षा की नायिका, अमर कवयित्री प्रेरणादायी कमला भसीन को विदाई।’’
इतिहासकार एस इरफान हबीब ने कहा, ‘‘प्रिय मित्र और एक असाधारण शख्सियत कमला भसीन के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। हम कल ही उनके स्वास्थ्य के बारे में चर्चा कर रहे थे, लेकिन कभी नहीं सोचा कि वह हमें अगले दिन ही छोड़कर चली जाएंगी। आप बहुत याद आएंगी।’’
सेव द चिल्ड्रन इंडिया ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आपकी विरासत आशा के गीतों और साहसपूर्ण लेखन में जीवित रहेगी। आंदोलन की भावना परिवर्तन को प्रज्वलित करती रहेगी। कमला भसीन आपकी आत्मा को शांति मिले। आपका काम हमारे सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करता रहेगा। हर लड़की के लिए समानता भाव लाने की दिशा में आपकी परिवर्तनकारी मुहिम प्रेरित करती रहेगी।’’