जम्मू-कश्मीर में दो पाकिस्तान आतंकवादियों की पत्नियां बन गईं पंच-सरपंच, मचा हड़कंप

By सुरेश डुग्गर | Published: November 14, 2018 05:58 PM2018-11-14T17:58:32+5:302018-11-14T17:58:32+5:30

खुमरियाल से करीब 30 किलोमीटर दूर प्रिंगरू हल्के में भी सरंपच महिला ही चुनी गई है और वह भी एक आतंकी की दुल्हन बनकर ही करीब दो साल पहले सीमा पार से इस तरफ आई है।

wives of two Pakistan terrorists became Panch and Sarpanch in Jammu and Kashmir | जम्मू-कश्मीर में दो पाकिस्तान आतंकवादियों की पत्नियां बन गईं पंच-सरपंच, मचा हड़कंप

जम्मू-कश्मीर में दो पाकिस्तान आतंकवादियों की पत्नियां बन गईं पंच-सरपंच, मचा हड़कंप

सीमा पार से लौटे दो आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियां कश्मीर में बतौर पंच और सरपंच चुनी गई हैं। फिलहाल प्रशासन कहता है उसको जानकारी नहीं है इसलिए मामले की जांच करवाएंगें। दोनों कैसे पंच-सरपंच चुन ली गईं कोतुहल का विषय है। जबकि पुंछ के मंडी इलाके में एक पाकिस्तानी बहू को प्रशासन ने चुनाव लड़ने से ही रोक दिया था।

35 वर्षीय आरिफा एलओसी के साथ सटी लोलाब घाटी के अंतर्गत खुमरियाल की सरपंच बनी है। उसका पति गुलाम मोहम्मद मीर वर्ष 2001 में आतंकी बनने के लिए एलओसी पार गुलाम कश्मीर चला गया था। वहां एक जिहादी फैक्टरी में कुछ दिन रहने के बाद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया और उसने आतंकवाद को त्यागकर मुजफ्फराबाद में एक नयी जिंदगी शुरू की। उसने वहां एक दुकान पर काम करना शुरू कर दिया और इसी दौरान उसने वहां आरिफा के साथ निकाह कर लिया।

आरिफा मुजफ्फराबाद के पास स्थित पलांदरी गांव की रहने वाली है। वर्ष 2010 में राज्य में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सत्तासीन नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार द्वारा आतंकियों के लिए घोषित घर वापसी अथवा सरेंडर पालिसी से प्रभावित होकर गुलाम मोहम्मद मीर ने जब कश्मीर लौटने का फैसला किया तो आरिफा बेगम ने मायका छोड़ अपने पति के साथ ही रहने का फैसला किया। अपने बच्चों संग आरिफा और गुलाम मोहम्मद मीर ने गुलाम कश्मीर में सक्रिय आतंकी सरगनाओं और आइएसआई के एजेंटों की नजर से बचते हुए पासपोर्ट का जुगाड़ किया। इसके बाद वह नेपाल पहुंचे और नेपाल से कश्मीर।

अब यह सच है कि आरिफा और दिलशादा अब एलओसी पार से लौटे दो पुराने आतंकियों की पत्नियां नहीं रह गई हैं, अब वे अपनी-अपनी पंचायत की सरपंच हैं। आरिफा और दिलशादा उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में प्रिंगरू और खुमरियाल में निर्विरोध सरपंच चुनी गई हैं। राज्य में 17 नवंबर से नौ चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए मतदान शुरू हो रहा है।

कश्मीर पहुंचने के बाद आरिफा और गुलाम मोहम्मद मीर को सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ से गुजरना पड़ा। गुलाम मोहम्मद को कुछ दिन जेल में भी बिताने पड़े। गुलाम मोहम्मद मीर ने कहा कि मेरी बीबी आरिफा ने खुमरियाल बी पंचायत में पंच और सरपंच दोनों पदों के लिए चुनाव लड़ा है, लेकिन उसके खिलाफ न पंच हल्के में कोई उम्मीदवार था और न सरपंच के चुनाव में। वह पंच और सरपंच दोनों ही चुनाव निर्विरोध जीती है। वह सरपंच का ओहदा संभालेगी।

खुमरियाल से करीब 30 किलोमीटर दूर प्रिंगरू हल्के में भी सरंपच महिला ही चुनी गई है और वह भी एक आतंकी की दुल्हन बनकर ही करीब दो साल पहले सीमा पार से इस तरफ आई है। उसक नाम दिलशादा है और उसके पति का नाम मोहम्मद यूसुफ बट। दिलशादा पाकिस्तान में कराची की रहने वाली है। यूसुफ बट से उसकी मुलाकात कराची में हुई थी और उसके बाद दोनों ने निकाह कर लिया। दिलशादा भी निर्विरोध सरपंच बनी है।

जिला उपायुक्त जिला उपायुक्त कुपवाड़ा खालिद जहांगीर ने खुमरियाल और प्रिंगरू में सरहद पार से आई दो दुल्हनों के सरपंच चुने जाने पर कहा कि हमने भी सुना है कि आरिफा बेगम व दिलशादा बेगम गुलाम कश्मीर व पाकिस्तान की रहने वाली हैं। इस बारे में हमने संबंधित अधिकारियों को पूरी स्थिति का पता लगाने के लिए कहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही पक्के तौर पर कहा जा सकता है।

पर पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर की रहने वाली नौशीन खुशकिस्मत नहीं है जिसे पुंछ प्रशासन ने इसलिए सरपंच का चुनाव लड़ने से रोक दिया था क्योंकि वह एक उस आतंकी की पाकिस्तानी पत्नी थी जो कई सालों तक पाकिस्तान में रहा था और कुछ अरसापहले नेपाल के रास्ते से अपने चार बच्चों के साथ लौटा था।

इन तीनों मामलों में एक खास बात यह थी कि चुनाव लड़ने वाली महिलाओं के आधार कार्ड, राशन कार्ड तथा मतदाता कार्ड कैसे बन गए यह सबसे अधिक हैरानगी वाली बात थी। फिलहाल मामले पर चुप्पी साध ली गई है और बस यही कह कर पल्ला झाड़ लिया गया है कि जांच करवाई जाएगी।

Web Title: wives of two Pakistan terrorists became Panch and Sarpanch in Jammu and Kashmir

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