'हम प्रधानमंत्री की बात क्यों सुनें, क्या वह अर्थशास्त्र में पीएचडी हैं?' टीवी डिबेट में 'रेवड़ी कल्चर' पर बोले तमिलनाडु के वित्त मंत्री
By शिवेंद्र राय | Published: August 19, 2022 10:46 AM2022-08-19T10:46:59+5:302022-08-19T10:59:18+5:30
चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने का वादा करना और उपहार बांटने को सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक गंभीर मुद्दा माना है। प्रधानमंत्री मोदी बार-बार इस मुद्दे को उठाते रहते हैं। अब 'रेवड़ी कल्चर' पर तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थ्यागराजन का पीएम मोदी के के बारे में दिया गया एक बयान सुर्खियों में है।
नई दिल्ली: देश में इस समय चुनावों के दौरान मुफ्त में सुविधाएं देने के वादों पर जोरदार बहस चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देश की आर्थिक सेहत के लिए नुकसानदेह बता चुके हैं। पीएम मोदी ने इसे 'रेवड़ी कल्चर' का नाम भी दे दिया। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय में भी इस मुद्दे पर सुनवाई हो रही है कि मुफ्त सुविधाएं दी जानीं चाहिए या नहीं। इसी बीच रेवड़ी कल्चर पर तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थ्यागराजन का एक बयान बेहद चर्चित हो रहा है।
पी थ्यागराजन से टेलिवजन पर एक बहस के दौरान 'रेवड़ी कल्चर' के बारे में सवाल पूछा गया। जवाब में तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने कहा, "आप जो कह रहे हैं उसके लिए आपके पास संवैधानिक साक्ष्य होने चाहिए ताकि हम आपकी बात सुनें। या फिर आप उस विषय के विशेषज्ञ हों। आपके पास अर्थशास्त्र में दो पीएचडी हों या फिर आपको नोबेल पुरस्कार मिला हो जिससे हमें ये लगे कि आप हमसे बेहतर हैं। या फिर आपका ट्र्रैक रिकॉर्ड ऐसा हो जिससे पता लगे कि आपने देश की अर्थव्यवस्था को सुधार दिया है, महंगाई कम हो गई हो, बेरोजगारी कम हो गई हो। लेकिन अगर इनमें से ऐसा कुछ नहीं है, तो हम आपकी बात क्यों सुनें? तमिलनाडु केंद्र को ₹1 देता है, वापस 35 पैसे मिलते हैं। हम जो चाहेंगे वो करेंगे।"
पी थ्याग राजन ने ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहीं। देश के सबसे शिक्षित नेताओं में गिने जाने वाले तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थ्यागराजन का यह बयान अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बता दें कि इंजिनियरिंग ग्रेजुएट पी थ्यागराजन ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क से ऑपरेशन्स रिसर्च में परास्नातक किया है और फिर पीएचडी भी की है।
बता दें कि रेवड़ी कल्चर पर चल रही सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राजनीतिक दलों को लोगों से वादा करने से नहीं रोका जा सकता। सवाल इस बात का है कि सरकारी धन का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए। इस मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी गई है।