नए नागरिकता कानून से देशभर के मुसलमानों पर क्या असर पड़ेगा, जानें मुस्लिम संगठनों की चिंताएं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 16, 2019 01:58 PM2019-12-16T13:58:39+5:302019-12-16T13:58:39+5:30
किसी समुदाय का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान कहा कि ‘‘जो लोग आग भड़का रहे हैं’’ उनकी पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में रविवार को दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) के समीप और उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में हिंसक प्रदर्शन हुए। पश्चिम बंगाल में भी अव्यवस्था की स्थिति बनी रही। जामिया के पास हुई झड़प में करीब 60 लोगों के घायल होने, जबकि एएमयू में हुई झड़प में भी लगभग इतनी ही संख्या में छात्रों के घायल होने की खबर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन सबके के लिए ‘‘कांग्रेस और उसके मित्रों’’ को जिम्मेदार ठहराया है। किसी समुदाय का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान कहा कि ‘‘जो लोग आग भड़का रहे हैं’’ उनकी पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ एक आम राय बनती जा रही है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाता है। मुस्लिम संगठनों को डर है कि अभी नागरिकता कानून और बाद में एनआरसी का सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा।
कई मुस्लिम संगठनों और नेताओं का दावा है कि देशभर में NRC लागू करने को लेकर CAB सिर्फ पहला चरण है। अमित शाह ने संसद में घोषणा भी की है कि पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे। अमित शाह ने यह भी कहा था कि यह यह कानून नागरिकता छीनने का कानून नहीं है। इससे देश के किसी मुसलमान को डरने की जरूरत नहीं है।
अगर NRC पूरे देश में आता है, तो जिन लोगों को बाहरी बताया जाएगा उसमें अधिकतर की संख्या मुस्लिम समुदाय की हो सकती है। अगर NRC से किसी और समुदाय के लोग निकलते हैं, तो उन्हें CAB के तहत नागरिकता भी दी जा सकती है लेकिन मुस्लिमों को नहीं। इसका सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ने वाला है। इसी वजह से देशभर के मुस्लिम संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान जारी कहा था, 'यह तर्क बिल्कुल गलत है कि नागरिकता विधेयक का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है. यह बिल इसलिए लाया गया है ताकि मुसलमानों के लिए एनआरसी प्रक्रिया को कठिन बना दिया जाए. नागरिकता संशोधन विधेयक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है. इस कानून के निहितार्थ को देखा जाना बाकी है, लेकिन जब एनआरसी पूरे देश में लागू होगी तो यह उन लाखों मुस्लिम के लिए श्राप साबित होगा जो किसी कारण से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे.'
पश्चिम बंगाल में छह जिलों मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गयी है ताकि खासतौर पर सोशल मीडिया पर अफवाह और गलत खबरें प्रसारित करने वालों को रोका जा सके। पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर रविवार रात राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में राज्य प्रशासन और पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की। मुख्यमंत्री ने उन्हें हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया।
देशभर के मुस्लिम संगठनों के अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों में भी प्रदर्शन जारी हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों की चिंता अलग है। उन्हें नागरिकता कानून से अपनी संस्कृति, भाषा और जीवन पर संकट महसूस हो रहा है। फिलहाल असम में स्थिति में सुधार के कारण गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में कर्फ्यू में कई घंटे की ढील दी गई है। पुलिस ने बताया कि असम में 175 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 1,406 लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया।
समाचार एजेंसी और पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर