आपातकाल के 45 साल: इंदिरा गांधी ने क्यों लगाई थी इमरजेंसी? पढ़िए उस मुकदमे और कोर्ट के फैसले की कहानी

By विनीत कुमार | Published: June 25, 2020 09:11 AM2020-06-25T09:11:52+5:302020-06-25T09:11:52+5:30

आजाद भारत में पहली और आखिरी बार इमरजेंसी की घोषणा 25 जून 1975 को की गई थी। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। भारतीय लोकतंत्र में इसे काले दिन के तौर पर देखा जाता है।

Why did Indira Gandhi impose Emergency and case allahabad high court judgement | आपातकाल के 45 साल: इंदिरा गांधी ने क्यों लगाई थी इमरजेंसी? पढ़िए उस मुकदमे और कोर्ट के फैसले की कहानी

इंदिरा गांधी ने 1975 में लिया था इमरजेंसी लगाने का फैसला (फाइल फोटो)

Highlights25 जून 1975 को हुई थी देश में इमरजेंसी की घोषणा, करीब दो साल तक देश में था आपातकाल छात्र और विपक्ष के आंदोलन सहित इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले ने बढ़ाई थी इंदिरा गांधी की मुश्किल

25 जून 1975: आजाद भारत के इतिहास में ये तारीख कभी भूला नहीं जा सकेगा। यही वो दिन था जब साल 1975 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की। कई विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गईं। प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। हर अखबार में सेंसर अधिकारी बैठा दिया गया और उसकी अनुमति से ही कुछ भी समाचार-पत्र में छप सकता था। 

आखिरकार दो साल के बाद 1977 में यह सबकुछ थमा और चुनाव की घोषणा की गई। इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने का फैसला क्यों किया, इसे लेकर कई कारण मौजूद हैं। गुजरात से शुरू हुआ छात्रों का आंदोलन बिहार समेत देश के कई हिस्सों में फैल गया था।

आंदोलन को मिला जयप्रकाश नारायण का नेतृत्व इंदिरा गांधी की मुश्किलें और बढ़ाता चला गया। इन सबके बीच एक बड़ी भूमिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले की भी रही जिसे इमरजेंसी लगाने की अहम पृष्ठभूमि के तौर पर देखा जाता है।

हाईकोर्ट ने चुनाव में गड़बड़ी के लिए इंदिरा गांधी को पाया दोषी

इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुआ ये मुकदमा राजनारायण ने दायर किया था। दरअसल, 1971 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली। कुल 518 सीटों में से कांग्रेस को दो तिहाई से भी ज्यादा यानी 352 सीटें हासिल हुईं। इसी चुनाव में इंदिरा गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से एक लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने में कामयाब रही थीं।

हालांकि, इस सीट पर उनके प्रतिद्वंदी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण ने उनकी जीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी।

राजनारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार और सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। राजनारायण के वकील शांतिभूषण थे। इस मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावों में धांधली का दोषी पाया।

फैसला 12 जून 1975 को आया और जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने अपने निर्णय में उनके रायबरेली से सांसद के रूप में चुनाव को अवैध करार दे दिया। कोर्ट ने साथ ही अगले छह साल तक उनके कोई भी चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी। अब इस स्थिति में इंदिरा के पास राज्यसभा जाने का रास्ता भी नहीं बचा था। 

इंदिरा गांधी ने इस्तीफा देने की बजाय इमरजेंसी लगा दी

कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी के पास प्रधानमंत्री पद छोड़ने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। जानकारों के अनुसार 25 जून, 1975 की आधी रात से आपातकाल लागू होने की जड़ में ये सबसे बड़ा कारण था। कोर्ट के फैसले ने पहले से हमलावर और आंदोलन में जुटे विपक्ष को और आक्रामक कर दिया था।

कुछ राजनीतिक जानकार ये भी बताते हैं कि कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी इस्तीफे के लिए तैयार भी हो गई थीं। हालांकि, ऐसा कहते हैं कि संजय गांधी सहित कुछ और सलाहकारों ने उन्हें इस्तीफा नहीं देने की सलाह दी और इस तरह इमरजेंसी का अध्याय लिखा गया।

English summary :
Aaj Ka Itihaas: This date will never be forgotten in the history of independent India. This was the day in 1975 when President Fakhruddin Ali Ahmed announced the imposition of Emergency in the country on the advice of the Congress Government led by Indira Gandhi.


Web Title: Why did Indira Gandhi impose Emergency and case allahabad high court judgement

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