अजीत डोभाल और नृपेंद्र मिश्रा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने से पॉवर स्ट्रक्चर पर क्या असर पड़ेगा?
By आदित्य द्विवेदी | Published: June 13, 2019 12:24 PM2019-06-13T12:24:55+5:302019-06-13T12:24:55+5:30
अजीत डोभाल और नृपेंद्र मिश्रा को क्यों मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा? पूर्व गृह सचिव बाल्मीकि प्रसाद सिंह से समझिए...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में शीर्ष प्रशासनिक स्तर पर कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया। नृपेंद्र मिश्रा को एकबार फिर पीएम मोदी का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल पांच वर्षों का होगा। इसके अलावा अजीत डोभाल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे। उनकी नियुक्ति भी पांच साल के लिए हुई है। गौर करने वाली बात ये है कि कार्मिक मंत्रालय ने इन दोनों ब्यूरोक्रेट को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है।
किसी ब्यूरोक्रेट को कैबिनेट मंत्री का दर्जा क्यों दिया जाता है? इस पॉवर स्ट्रक्चर को समझने के लिए हमने पूर्व गृह सचिव बाल्मीकि प्रसाद सिंह से बातचीत की। पढ़िए बात-चीत के प्रमुख अंश...
कैबिनेट मंत्री का दर्जा क्यों दिया जाता है?
कैबिनेट मंत्री का दर्जा किसी को भी दिया जा सकता है। ये प्रतिष्ठा की बात होती है। इससे मिलने जुलने में सुविधा होती है। दुनिया में रैंक स्ट्रक्चर है। विदेश जाने पर वहां के कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात में सुविधा होती है।
क्या इससे पॉवर स्ट्रक्चर में बदलाव होगा?
किसी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देना 'प्लेजर ऑफ द प्राइम मिनिस्टर' है। ये कोई इलेक्टेड पद नहीं है। ये प्रधानमंत्री की कृपा पर है। संवैधानिक व्यवस्था में ये सारी औपचारिकताएं हैं। इससे मिलने-जुलने में सुविधा होती है। किसी कैबिनेट मिनस्टर या चीफ मिनिस्टर से मिलने में सुविधा होती है। इससे दुविधाएं खत्म होती है।
क्या डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने से रक्षामंत्री से टकराव की स्थिति होगी?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का वास्ता प्रधानमंत्री से होता है। रक्षामंत्री के पास चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी होती है। इसमें तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। इसलिए डोभाल के साथ रक्षामंत्री के टकराव की कोई स्थिति बनने की संभावना नहीं है।
यहां सुनिए पूरी बातचीत का वीडियो-