दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से डरी ABVP, पोल खुलने की डर से उठाया ये बड़ा कदम?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 17, 2018 08:43 AM2018-11-17T08:43:15+5:302018-11-17T08:43:15+5:30
अंकिव बसोया फर्जी डिग्री मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) बैकफुट पर है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद दो-चार दिनों में पोल खुल जाने के डर से अंतत: अंकिव को तत्काल प्रभाव से संगठन से निलंबित कर दिया और डूसू अध्यक्ष पद से भी उसका इस्तीफा ले लिया.
दिनभर चले घटनाक्रम में एबीवीपी आज डैमेज कंट्रोल मोड में दिखी और खुद को पाक साफ बताते हुए ठीकरा (दिल्ली यूनिवर्सिटी) डीयू प्रशासन के सिर फोड़ दिया.
दिल्ली हाईकोर्ट से अंकिव मामले की जांच के लिए डीयू को 20 नवंबर तक का अल्टिमेटम मिलने के बाद होने वाली फजीहत से बचने के लिए एबीवीपी सक्रिय दिखी.
मीडिया के सामने आई एबीवीपी की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक मोनिका चौधरी ने पूरे मामले को डीयू प्रशासन की चूक बताया और कहा, ''अंकिव मामले में शिकायत मिलने पर भी लंबे समय से चुप्पी बनाए हुए है.''
'लोकमत समाचार' से बात करते हुए मोनिका ने कहा, ''डीयू प्रशासन पर भरोसा करके उसके दाखिले के आधार पर एबीवीपी ने अंकिव को टिकट दिया था. इतना ही नहीं डीयू प्रशासन के पास दाखिला के वक्त और उम्मीदवारों के बैलेट जारी करने से पहले तक दो बार उम्मीदवारों की डिग्री और प्रमाण पत्रों को सत्यापित करने का मौका मिलता है, लेकिन डीयू ने ऐसा नहीं किया.''
फर्जी डिग्री विवाद तो लंबे समय से चल रहा है अभी क्यों अंकिव पर कार्रवाई हुई जवाब में मोनिका ने कहा कि डीयू प्रशासन न तो अंकिव की डिग्री जांच पर कोई बयान जारी कर रहा है और न कुछ बता रहा है.
इससे एबीवीपी जैसे प्रतिष्ठित संगठन की बदनामी हो रही थी इसलिए अंकिव को संगठन से निलंबित किया गया है और उसका डूसू अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी मांगा लिया है. कुलपति को सौंपा इस्तीफा अंकिव बसोया ने आज डूसू अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना त्यागपत्र कुलपति कार्यालय को सौंप दिया.
वहीं डीयू की दाखिला प्रक्रिया और छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया में प्रमाणपत्रों की जांच न करने के दोषी पाए गए डीन स्टूडेंट वेलफेयर कार्यालय के अधिकारियों के इस्तीफे डीयू प्रशासन पहले ही ले चुका है. एनएसयूआई आक्रामक एनएसयूआई की प्रभारी रूचि गुप्ता ने कहा कि जिस पार्टी के प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रियों तक की डिग्री पर सवाल उठ रहे हैं.
उस संगठन की छात्र इकाई को उम्मीदवार बनाने से पहले ही छात्रों की डिग्रियां जांचनी चाहिए थीं. पहले बैकग्राउंड जांच, फिर टिकट अंकिव मामले में फजीहत झेल रही एबीवीपी ने ऐलान किया है कि अब भविष्य में किसी भी उम्मीदवार को टिकट देने से पहले उसकी स्कूल से लेकर कॉलेज तक के सभी प्रमाणपत्रों की छानबीन के बाद ही टिकट दी जाएगी.