WHO ने कहा- भारत वाला कोविड-19 वैरिएंट दुनिया के 44 और देशों में भी मिला, ब्रिटेन में सबसे ज्यादा

By दीप्ती कुमारी | Published: May 12, 2021 10:48 AM2021-05-12T10:48:35+5:302021-05-12T10:54:45+5:30

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार B.1.167 वैरिएंट अन्य 44 देशों में भी पाया गया है। ब्रिटेन में ये सबसे अधिक पाया गया है।

WHO says indian covid 19 variant found in 44 countries mass gathering is the major reason of transmission in india | WHO ने कहा- भारत वाला कोविड-19 वैरिएंट दुनिया के 44 और देशों में भी मिला, ब्रिटेन में सबसे ज्यादा

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsडब्लूएचओ के अनुसार भारत में मिला कोरोना का खतरनाक वैरिएंट दुनिया के कई और देशों में भी मिला है स्वास्थ्य संगठन के अनुसार करीब 44 देशों में अब तक B.1.167 वैरिएंट मिल चुका हैभारत के बाहर ब्रिटेन में वायरस का ये वैरिएंट सबसे ज्यादा मिला है

दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर जानलेवा साबित हो रही है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अहम खुलासा किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि भारत में कोरोना वायरस के जिस वैरिएंट के कारण स्थिति भयावह हुई है, वह दुनिया के कई अन्य देशों में भी पाया जा रहा है।

स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में पहली बार कोरोना का B.1.167 वैरिएंट भारत में पाया गया था। हालांकि, अब इसका विस्तार कई देशों में हो गया है। यह वैरिएंट अब WHO के सभी 6 क्षेत्रों के 44 देशों में 4500 से ज्यादा सैंपल में पाया गया है। 

भारत के बाहर ब्रिटेन में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसी सप्ताह की शुरुआत में WHO ने B.1.617 को उसके म्यूटेशन और विशेषताओं के आधार पर 'चिंता पैदा करने वाले' बताया था। इससे पहले ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में पाए गए वायरस के अलग-अलग वैरिएंट को लेकर भी स्वास्थ्य संगठन ऐसी बातें कह चुका है।

कोरोना वायरस का B.1.617 वैरिएंट क्यों हैं खतरनाक

WHO ने कहा कि B.1.167 वैरिएंट मूल वायरस की तुलना में अधिक तेजी से फैलने वाला वायरस है। इसके कारण कई देशों में कोरोना के मामलों में वृद्धि हो सकती है। इस वायरस के वैरिएंट में न केवल तेजी से फैलने की क्षमता है बल्कि ये ज्यादा जानलेवा और कुछ हद तक वैक्सीन से भी बचाव करने में माहिर है। 

डब्लूएचओ के अनुसार 'प्रारंभिक साक्ष्य' भी इशारा करते हैं कि यह वैरिएंट मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बामलानिवैम्ब के साथ उपचार के प्रति अधिक प्रतिरोधी था। साथ ही लैब स्टडी इस बात का भी संकेत देते हैं कि एंटीबॉडी के द्वारा भी इसे बेहद सीमित तौर पर निष्प्रभाव किया जा सकता है।

डब्लूएचओ ने कहा कि भारत में जो अप्रत्याशित रूप से कोरोना के मामलों और मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है यह B.1.167 के अलावा कई कारकों पर निर्भर करता है। डब्लूएचओ ने भारत में हाल आयोजित कई धार्मिक और राजनीतिक जनसमूहों का भी जिक्र किया जिससे सामाजिक मेलजोल बढ़ और कोरोना नियमों की अनदेखी की गई।

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