भारत में वॉट्सऐप जासूसी पर बोले रिटायर्ड जस्टिस, 'ये खतरनाक स्थिति, इसके खिलाफ मजबूत जनमत तैयार करना जरूरी'

By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 7, 2019 09:03 AM2019-11-07T09:03:49+5:302019-11-07T09:03:49+5:30

Whatsapp snooping: भारत में कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओ और पत्रकारों की वॉट्सऐप के लिए की गई जासूसी पर

Whatsapp snooping in India: It's alarming, Generate strong public opinion against it: Justice Srikrishna | भारत में वॉट्सऐप जासूसी पर बोले रिटायर्ड जस्टिस, 'ये खतरनाक स्थिति, इसके खिलाफ मजबूत जनमत तैयार करना जरूरी'

भारत में इजराइली स्पाईवेयर से की गई कई प्रभावशाली व्यक्तियों की जासूसी

Highlightsभारत में कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों की वॉट्सऐप से की गई जासूसीजस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि हम बेहद खतरनाक स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं

भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की एक इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का प्रयोग करते हुए वॉट्सऐप के जरिए की गई जासूसी को लेकर डेटा प्रोटेक्शन कमिटी के अध्यक्ष रहे रिटायर्ड जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने कहा है कि अगर ये सच है तो हम बेहद खतरनाक स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि 'मैं बेहद चिंतित हूं। अगर रिपोर्ट्स सच हैं, तो हम एक ऑरवेलियन राज्य की तरफ बढ़ रहे है जहां बिग ब्रदर हमारी निगरानी कर रहा है, जैसा कि नॉवेल 1984 में जिक्र किया गया है।'

'भारत को अवैध निगरानी रोकने की तरफ कदम बढ़ाने की जरूरत'

ये पूछे जाने पर ऐसी निगरानी अवैध तरीके से न हो, इसके लिए सिस्टम को क्या करना चाहिए। जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा, 'नागरिकों के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर स्पष्ट हमले के रूप में जो आप देखते हैं, उसके खिलाफ मजबूत जनमत तैयार करें।

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज श्रीकृष्णा को 31 जुलाई 217 में तब डेटा प्रोटेक्शन के लिए बनी समिति की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था जब शीर्ष अदालत द्वारा गोपनीयता को मौलिक अधिकार के रूप के सवाल की अभी भी जांच की जा रही थी। 

डेटा प्रोटेक्शन का बिल संसद में लाना बाकी

सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज को विशेषज्ञों की समिति द्वारा नियुक्त किया गया था विशेषज्ञों और अधिकारियों की समिति ने देश भर में सार्वजनिक सुनवाई की और 28 जुलाई 2018 को अपनी रिपोर्ट पेश की और उसमें डेटा सरंक्षण के लिए भी एक ड्राफ्ट का प्रस्ताव रखा। इस बिल को अब भी मंजूरी के लिए संसद में लाना बाकी है। 

जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि चूंकि डेटा संरक्षण में उलझाव है, ऐसे में भारत को निगरानी में सुधार करने की जरूरत है, जिससे सरकारों या अन्य संस्थाओं को नागरिकों की जासूसी करने से रोका जा सके। उन्होंने कहा, 'सुनिश्चित करें कि सभी निगरानी कड़ाई से संवैधानिक मापदंडों के अनुसार और संविधान के भाग III में निर्धारित नियमों के अनुसार की गई है, जैसा कि पुत्तास्वामी फैसले में व्याख्या की गई है।'

पुत्तास्वामी फैसला सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2017 में आए आदेश से संबंधित है, जिसमें जस्टिस (रिटायर्ड) केएस पुत्तास्वामी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में नौ जजों की संविधान पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया था कि निजता एक मौलिक अधिकार है। 

 

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