जानिए क्या है नागारिकता संसोधन बिल, लोकसभा में हुआ पेश

By भाषा | Published: January 8, 2019 05:07 PM2019-01-08T17:07:28+5:302019-01-08T17:07:28+5:30

इसके अनुरूप कोच राजभोगशी, ताइ आहोम, चोटिया, मतक, मोरान एवं चाय बागान से जुड़े समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया जाने का प्रस्ताव है।

What is the new Citizenship Amendment Bill 2019 lok sabha | जानिए क्या है नागारिकता संसोधन बिल, लोकसभा में हुआ पेश

जानिए क्या है नागारिकता संसोधन बिल, लोकसभा में हुआ पेश

नागरिकता संशोधन विधेयक पर कुछ वर्गों की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि असम की सीमा देश की सीमा है और जो भी जरूरी होगा, केंद्र सरकार वह सब करेगी ।

सिंह ने संसद की संयुक्त समिति द्वारा यथाप्रतिवेदित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लोकसभा में चर्चा एवं पारित करने के लिये रखते हुए यह बात कही । कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया ।

यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी। इस पर संसद की संयुक्त समिति ने विचार किया है और समिति में तृणमूल कांग्रेस समेत कुछ दलों के सदस्यों ने असहमति का नोट दिया था। सदन में सिंह ने बताया कि असम के छह समुदायों को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने की मांग लम्बे समय से की जा रही थी । गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया था और समिति ने सिफारिश दे दी है । इस बारे में विचार विमर्श भी किया गया है।

इसके अनुरूप कोच राजभोगशी, ताइ आहोम, चोटिया, मतक, मोरान एवं चाय बागान से जुड़े समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया जाने का प्रस्ताव है।

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार इस संबंध में विधेयक लायेगी।

उन्होंने कहा कि असम समझौता एक महत्पूर्ण स्तम्भ है। इसमें असम के लोगों की सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने की बात कही गई । इसके लिये कानूनी एवं प्रशासनिक आधार तैयार करने की बात भी कही गई । लेकिन पिछले वर्षो में ऐसा नहीं हुआ।

राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विषय पर एक समिति का गठन किया है । यह समिति सभी पक्षकारों से परामर्श करेगी और सांस्कृतिक, सामाजिक एवं भाषायी पहचान के बारे में छह मार्च तक अपनी सिफारिशें देगी। उन्होंने कहा कि सरकार बोडो समुदाय की मांगों के बारे में न केवल चिंता करती है बल्कि इसके लिये प्रतिबद्ध भी है ।

गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिक हो रही है ।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक सिर्फ असम के लिये नहीं है बल्कि ऐसे हजारों लोगों के लिये है जो पश्चिमी सीमा से आकर दिल्ली, गुजरात एवं अन्य स्थानों पर रह रहे हैं । यह सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा । इसके पीछे सोच यह है कि उत्पीड़न के शिकार प्रवासी देश के किसी हिस्से में रह सकें ।

सिंह ने जोर दिया कि पाकिस्तान में राष्ट्र एवं समुदाय के स्तर पर अल्पसंख्यकों के साथ सुनियोजित तरीके से भेदभाव किया जाता है । उन्हें बुनियादी अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वर्तमान सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध है । लेकिन इन देशों में भी घटनाएं सामने आई हैं। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे में इन लोगों के पास भारत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

उन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का जिक्र करते हुए कहा कि इसे उचित ढंग से लागू किया जा रहा है। इसके तहत शिकायत करने का प्रावधान किया गया है। हम प्रक्रिया पूरी करने को प्रतिबद्ध है । किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।

 

Web Title: What is the new Citizenship Amendment Bill 2019 lok sabha

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे