क्या है अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला, क्यों मिशेल प्रत्यर्पण को गांधी परिवार के लिए 'ताबूत में कील' मान रही है बीजेपी
By जनार्दन पाण्डेय | Published: December 5, 2018 12:19 PM2018-12-05T12:19:49+5:302018-12-05T12:35:08+5:30
2012 में ही बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने तत्कालीन मनमोहन सरकार को मसले पर घेर लिया था।
अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील में हुए घोटाले को लेकर बिचौलिए किश्चियन मिशेल को मंगलवार को भारत प्रत्यार्पित कर लिया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव के ऑपरेशन 'यूनिकॉर्न' के तहत उसे दुबई से दिल्ली प्रत्यार्पित किया गया। मिशेल के दिल्ली पहुंचते ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता जवीएल नरसिम्हा राव ने बयान जारी कर दिया कि अब कांग्रेस की कलई खुल जाएगी।
उन्होंने कहा, "मिशेल का प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी जीत है। राजनयिक स्तर पर भारत को इससे एक बड़ी सफलता मिली है। यह कांग्रेस और उसके प्रथम परिवार के लिए बड़े खतरे की भविष्यवाणी है। अब कांग्रेस के प्रथम परिवार का भंडाफोड़ हो जाएगा।"
मनमोहन सरकार ने रद्द की थी डील
दरअसल, यह मामला भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदे जाने का है। संयुक्त प्रगतीशील गठबंधन (यूपीए) की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय सरकार ने 8 फरवरी 2010 को इटली की कंपनी फिनमैकेनिका की सहयोगी इंडो-इतालवी कंपनी अगस्ता वेस्टेलैंड से हेलीकॉप्टर खरीदने का अनुबंध किया है। यह डील कुल 3600 करोड़ रुपये में की गई थी।
लेकिन यूपीए 2 की मनमोहन सरकार ने ही इस डील को साल 2014 की जनवरी में रद्द कर दिया था। कई स्तर की जांच-पड़ताल में यह खुलासा हुआ था कि करीब 360 करोड़ रुपये रिश्वतखोरी व कमीशन के तौर पर खर्च हुए। साथ ही कई भारतीय अफसरों और नेताओं के नाम रिश्वत देने व लेने में संलिप्त बताए गए।
पूर्व वायूसेना चीफ एसपी त्यागी का नाम आ चुका सामने
अगस्ता वेस्टलैंड डील को लेकर साल 2012 से ही कुछ आरटीआई से मिली जानकारियों के बाद उहापोह शुरू गई थी। इसके बाद 2012 में ही बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष ने तत्कालीन मनमोहन सरकार को मसले पर घेर लिया। फरवरी 2013 में स्थिति ऐसी बनी कि भारत सरकार को कंपनी की ओर से भारत को दिए जा रहे 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों पर रोक लगानी पड़ी।
हालांकि इस दौरान भारत कंपनी को 30 फीसदी तक का भुगतान कर चुका था। यानी भारत कंपनी को करीब हजार करोड़ रुपये जारी कर चुका था। इसके यह मामला इटली के एक कोर्ट में चला। इसमें भारत से यह बड़ा सौदा लेने के लिए कंपनी की ओर से एक बिचौलिए की सहायता से यहां के नेताओं और अफसरों को रिश्वत के बल पर अपने पक्ष में करने का खुलासा हुआ।
इसमें बताया गया कि कंपनी की ओर से करीब 125 करोड़ रुपये भारतीय अफसरों व नेताओं को दिए गए थे। इसमें पूर्व वायुसेना चीफ एसपी त्यागी का नाम अग्रणी तौर पर आ रहा था।
जबकि भारत में डील रद्द करते हुए मामले में कुल 423 करोड़ रुपये की रिश्वत व कंपनी की ओर से कुछ शर्तों के उल्लंघन का हवाला दिया था।
क्रिश्चियन मिशेल को मिले थे 225 करोड़ रुपये
भारत और कंपनी के बीच में मध्यस्थता के लिए क्रिश्चियन मिशेल को चुना गया था। मामले की पड़ताल करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साल 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें बताया गया था कि क्रिश्चियन मिशेल को 225 करोड़ रुपये रिश्वत के तौर पर दिए गए हैं।
यह पैसे उसने दुबई आधारित अपनी कंपनी ग्लोबल सर्विसेज को भेज दिए थे। यह कंपनी उसने दिल्ली के दो सहयोगियों के साथ मिलकर बनाई थी।
मिशेल के प्रत्यर्पण का क्या होगा राजनैतिक असर
बीजेपी कांग्रेस में गांधी परिवार को लगातार निशाने पर रखती है। बीजेपी की अंतरिम जानकारी के अनुसार इस मसले में गांधी परिवार की भूमिका है। ऐसे में मिशेल के प्रत्यर्पण का बीजेपी आगामी चुनावों में भुना सकती है।