धोनी ग्लव्स विवाद: क्या है सेना का बलिदान बैज, कौन कर सकता है इसका इस्तेमाल?
By रजनीश | Published: June 7, 2019 05:19 PM2019-06-07T17:19:52+5:302019-06-07T17:19:52+5:30
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के लोगो और ड्रेस कोड के मुताबिक कोई भी प्लेयर ड्रेस में कोई बदलाव नहीं कर सकता है। ICC के मुताबिक किसी भी प्लेयर को तीन से ज्यादा लोगो अपनी ड्रेस पर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ग्लव्स पर सिर्फ मैन्युफैक्चरर का ही लोगो हो सकता है।
वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टीम इंडिया के पहले मैच में महेंद्र सिंह धोनी के दस्तानों पर भारतीय सेना के 'बलिदान बैज' को लेकर बहस तेज हो गई है। ICC ने इस संबंध में BCCI से अपील की है कि वह ग्लव्स से बैज को हटवाए। दूसरी तरफ BCCI ने महेंद्र सिंह धोनी का समर्थन करते हुए कहा है कि इसमें कुछ गलत नहीं है और इससे किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है।
ICC ने इसको हटाने को कहा है तो BCCI ने धोनी का समर्थन करते हुए ICC को खत लिखकर इसकी इजाजत मांगी है। इस चर्चा के बीच बलिदान बैज का नाम आने के बाद बताते हैं आखिर ये बैज होता क्या?
बलिदान बैज कोई आम बैज नहीं होता। यह बैज पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास होता है और इसलिए सिर्फ वही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इस बैज पर हिन्दी में बलिदान लिखा होता है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। इसे सिर्फ भारतीय सेना के पैरा कमांडो ही लगा सकते हैं। पैरा स्पेशल फोर्स को पैरा एसएफ भी कहा जाता है।
स्पेशल यूनिट
पैरा स्पेशल फोर्स, इंडियन आर्मी की स्पेशल ऑपरेशन यूनिट होती है। कई मौकों पर देश के लिए पैरा स्पेशल फोर्स ने काम किया है। इस यूनिट ने पाकिस्तान युद्ध (1971), ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984), लिट्टे के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन (1987), करगिल युद्ध (1999) में हिस्सा लिया था। इसके अलावा 2016 में पीओके में हुए सर्जिकल स्ट्राइक में भी अहम भूमिका निभाई थी।
धोनी को 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। धोनी यह सम्मान पाने वाले कपिल देव के बाद दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं। धोनी को मानद कमीशन दिया गया क्योंकि वह एक युवा आइकन हैं और वह युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। धोनी एक प्रशिक्षित पैराट्रूपर हैं। उन्होंने पैरा बेसिक कोर्स किया है और पैराट्रूपर विंग्स पहनते हैं।
महेंद्र सिंह धोनी ने प्रादेशिक सेना (टीए) की 106 पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में अपनी रैंक को साबित कर दिखाया है। धोनी अगस्त 2015 में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे। आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी करने के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न (Para Wings insignia) लगाने की अर्हता प्राप्त कर ली थी। यानी इसी के साथ धोनी को इस बैज के इस्तेमाल की योग्यता हासिल हो गई।
क्या है नियम-
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के लोगो और ड्रेस कोड के मुताबिक कोई भी प्लेयर ड्रेस में कोई बदलाव नहीं कर सकता है। ICC के मुताबिक किसी भी प्लेयर को तीन से ज्यादा लोगो अपनी ड्रेस पर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ग्लव्स पर सिर्फ मैन्युफैक्चरर का ही लोगो हो सकता है।
ICC के मुताबिक किसी भी प्लेयर को तीन से ज्यादा लोगो अपनी ड्रेस पर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ग्लव्स पर सिर्फ मैन्युफैक्चरर का ही लोगो हो सकता है।
नियमों के मुताबिक किसी भी प्लेयर, बोर्ड या फिर संस्थान को किसी विशेष लोगो या बदलाव के लिए पहले से अनुमति मांगनी होगी। ICC से अनुमति मिलने के बाद ही ड्रेस में कुछ बदलाव के साथ खिलाड़ी मैदान में उतर सकता है।
खिलाड़ी और टीम के अधिकारियों को आर्म बैंड या ड्रेस के जरिए कोई भी निजी मेसेज देने की अनुमति नहीं है। हालांकि ICC के क्रिकेट ऑपरेशंस डिपार्टमेंट से अनुमति लेने के बाद ऐसा किया जा सकता है। ICC के नियमों के मुताबिक किसी भी तरह के राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय संदेश को जारी के लिए अनुमति नहीं मिल सकती।