गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली में नरेन्द्र मोदी के जाने के पीछे ये हैं कारण, आर-पार की लड़ाई के संकेत
By विकास कुमार | Published: December 16, 2018 06:29 PM2018-12-16T18:29:13+5:302018-12-16T18:29:13+5:30
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इसी साल रायबरेली के दौरे पर गए थे। उनके इस दौरे पर कांग्रेस के एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह अपने पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी रायबरेली का दौरा कर चुके हैं। संदेश साफ है कि रणनीति क्या है ?
रायबरेली गांधी परिवार का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी के इस सीट से चुनाव जीतने के कारण इसे गांधी परिवार का गढ़ कहा जाने लगा। लेकिन आज इसी गढ़ में प्रधानमंत्री मोदी की रैली होना भारतीय राजनीति में स्थापित उस परंपरा को तोड़ने जैसा है, जहां राजनीतिक शिष्टाचार के कारण दोनों पार्टी के आलाकमान एक दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार नहीं करते थे। खैर, नरेन्द्र मोदी चुनाव प्रचार में नहीं गए थे लेकिन फिर भी लोकसभा चुनाव से पांच महीने पहले और तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार के तुरंत बाद पहुंचना कोई आम राजनीतिक संकेत नहीं है।
प्रयागराज भाया रायबरेली
महाकुंभ के शुरू होने में अब चंद दिन ही बचे हैं। ऐसे में आज नरेन्द्र मोदी प्रयागराज जाने वाले थे, जहां उन्हें 400 योजनाओं का लोकार्पण करना था। लेकिन प्रयागराज पहुंचने के लिए उन्होंने भाया रायबरेली का रास्ता क्यों चुना, इस पर सवाल उठाना लाजिमी हैं। नरेन्द्र मोदी ने रायबरेली में आज रेल कोच फैक्ट्री के उद्घाटन के अलावा कई परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने इस दौरान एक रैली को भी संबोधित किया और कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला। हां एक बात नोट करने लायक थी कि गांधी परिवार के गढ़ में होने के बावजूद उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम लेकर हमला नहीं किया। तीन राज्यों के चुनावों में हार के बाद इसे साइड इफेक्ट के रूप में देखा जा रहा है।
नरेन्द्र मोदी की रैली होना इस बात के संकेत देते हैं है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा गांधी परिवार को ही मुख्य रूप से निशाने पर रखने वाली है। हाल के दिनों में जिस तरह से राहुल गांधी ने 'चौकीदार चोर है' है का नारा बुलंद किया है, इस रैली को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा काउंटर अटैक के रूप में भी देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि भाजपा ने हाल-फिलहाल में ये कैंपेन चलाया हो। अगर आप पिछले लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो आपको तस्वीरें स्पष्ट हो जायेंगी। अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति ईरानी का लड़ना भाजपा के इसी रणनीति का हिस्सा था।
'नामदार बनाम कामदार'
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इसी साल रायबरेली के दौरे पर गए थे। उनके इस दौरे पर कांग्रेस के एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह अपने पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी रायबरेली का दौरा कर चुके हैं। स्मृति ईरानी भी इस दौरान अमेठी का दौरा लगातार करती रहीं। आज नरेन्द्र मोदी के रैली की एक बात जो सबसे महत्त्वपूर्ण है कि उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में ही कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हरकतें ऐसी है कि जिस पर पाकिस्तान में तालियां बजती है। ऐसा कहा जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा अपनी रणनीतियों में बदलाव कर सकती है, लेकिन मोदी के भाषण के बाद ऐसा लग नहीं रहा है।
राहुल गांधी राफेल मामले में सीधा प्रधानमंत्री पर निशाना साध रहे हैं। ये कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों के केंद्र में गांधी परिवार को ही रखा था। ऐसा लग रहा है कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने तय कर लिया है कि वे राहुल गांधी के हर हमले का जवाब देंगे। भाजपा कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ को चुनौती देना चाहती है। तीन राज्यों में करारी हार के बाद अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को उठाने के लिए भी यह कदम कारगर साबित हो सकता है। नरेन्द्र मोदी राजनीति के सबसे माहिर खिलाड़ी हैं, उन्हें मालूम है कि कांग्रेस पार्टी को अगर अस्थिर करना है तो उन्हें गांधी परिवार पर ही आक्रमण जारी रखना होगा।