'कभी नहीं जाएंगे बुराड़ी, वो खुली जेल', किसान यूनियन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही ये बात
By स्वाति सिंह | Published: November 29, 2020 05:13 PM2020-11-29T17:13:10+5:302020-11-29T17:19:42+5:30
ऑल-इंडिया किसान संघर्ष को-ओर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के अलग-अलग धड़ों ने “दिल्ली चलो“ मार्च का आह्वान किया था।
चंडीगढ़: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रविवार को फैसला किया कि वे राष्ट्रीय राजधानी के बुराड़ी मैदान में नहीं जाएंगे और दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे। हजारों किसानों ने लगातार चौथे दिन रविवार को सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर अपना प्रदर्शन जारी रखा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से अपील की थी कि वे बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान चले जाएं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए किसानों को इस मैदान की पेशकश की गई है।
शाह ने यह भी कहा था कि निरंकारी मैदान में चले जाने के बाद केंद्र सरकार उनसे वार्ता करने को तैयार है। भारतीय किसान संघ (डकौंदा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने फोन पर बताया, “ हमने फैसला किया है कि हम दिल्ली की सीमाओं पर जमे रहेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे। “ उन्होंने कहा कि कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने यह फैसला किया है।
बीकेयू (कादियान) के प्रमुख हरमीत सिंह कादियान ने भी कहा कि प्रदर्शनकारी बुराड़ी मैदान नहीं जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए कादियान ने सिंघू बॉर्डर के नजदीक पत्रकारों से कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ बातचीत करने के लिए कोई शर्त नहीं थोपनी चाहिए।We've decided that we'll never go to Burari Park as we got proof that it's an open jail. Delhi Police told Uttarakhand Farmer Association President that they'll take them to Jantar Mantar but instead locked them at Burari Park: Surjeet S Phul, President, BKU Krantikari (Punjab) https://t.co/6pJOqIahh5pic.twitter.com/97ePCMknnI
— ANI (@ANI) November 29, 2020
उन्होंने कहा, “ हम कोई पूर्व शर्त नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि बिना किसी शर्त के बैठक हो। हम बातचीत के लिए राज़ी हैं।’’ किसान नेता ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान जल्द ही प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।
गौरतलब है कि ऑल-इंडिया किसान संघर्ष को-ओर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के अलग-अलग धड़ों ने “दिल्ली चलो“ मार्च का आह्वान किया था। किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनको आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और उन्हें बड़े उद्योगपतियों के “रहम“ पर छोड़ दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों के कई संगठनों को दूसरे चरण की बातचीत करने के लिए तीन दिसंबर को दिल्ली में आमंत्रित किया है।