पश्चिम बंगाल में डॉक्टर हड़ताल की गूंज दिल्ली तक पहुंची, राष्ट्रीय राजधानी के डॉक्टर्स करेंगे काम का बहिष्कार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 14, 2019 08:48 AM2019-06-14T08:48:29+5:302019-06-14T08:48:29+5:30
डॉक्टरों की हड़ताल की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को मरीजों और उनके तीमारदारों से संयम बरतने का अनुरोध किया और घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के समक्ष डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाऐंगे.
पश्चिम बंगाल में हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चेतावनी को नहीं माना और कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी. वहीं मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों पर बरसते हुए विपक्षी भाजपा और माकपा पर उन्हें भड़काने तथा मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया.
वहीं डॉक्टरों की हड़ताल की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को मरीजों और उनके तीमारदारों से संयम बरतने का अनुरोध किया और घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के समक्ष डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाऐंगे.
राष्ट्रीय राजधानी में कई निजी एवं सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने शुक्रवार को काम का बहिष्कार करने का फैसला किया है जिससे सेवाओं के प्रभावित होने का अंदेशा है. राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए अपने सिर पर पट्टियां बांधकर काम किया.
गुरुवार को पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कई सरकारी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों अस्पतालों में तीसरे दिन भी आपातकालीन वार्ड, ओपीडी सेवाएं, पैथोलॉजिकल इकाइयां बंद रहीं. निजी अस्पतालों में भी चिकित्सकीय सेवाएं बंद रहीं. डॉक्टर कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद भीड़ द्वारा अपने दो सहकर्मियों पर हमले के मद्देनजर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस बीच एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रधानाचार्य साइबल मुखर्जी तथा चिकित्सा अधीक्षक एवं उप प्रधानाचार्य प्रो. सौरभ चट्टोपाध्याय ने संस्थान के संकट से निपटने में विफल रहने की वजह से इस्तीफा दे दिया है. विपक्ष ने गतिरोध के लिए ममता बनर्जी पर प्रहार किया है और भाजपा ने उनपर 'हिटलर' की तरह काम करने का आरोप लगाया. '
अखिल भारतीय विरोध दिवस' भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने घटना के खिलाफ तथा हड़ताली डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को 'अखिल भारतीय विरोध दिवस' घोषित किया है. सीएम के खिलाफ प्रदर्शन जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोपहर में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने 'हमें इंसाफ चाहिए' के नारे लगाए.
उन्होंने कहा, 'मैं आंदोलन की निंदा करती हूं. कनिष्ठ चिकित्सकों का आंदोलन माकपा और भाजपा का षड्यंत्र है.' बनर्जी के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का भी प्रभार है. उन्होंने चिकित्सकों को चार घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा था लेकिन बाद में समय-सीमा में संशोधन करके इसे अपराह्न दो बजे कर दिया. उन्होंने ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि उन्हें छात्रावास खाली करने होंगे. बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी.
डॉक्टरों की एक टीम ने इस मुद्दे पर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की. राज्यपाल ने भी उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की. त्रिपाठी से भेंट के बाद राजभवन के बाहर एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, 'मांग पूरी होने तक हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.हमारी मांगे साधारण हैं... उचित सुरक्षा मिले और सभी अस्पताल में सशस्त्र पुलिस बल तैनात हों तथा एनआरएस अस्पताल में शनिवार को हुए हमले में शामिल अपराधियों को गैर जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए.'
’