पश्चिमी महाराष्ट्र में नदियां उफान पर, बाढ़ आने का खतरा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 9, 2019 06:44 AM2019-09-09T06:44:36+5:302019-09-09T06:44:36+5:30

मौजूदा पानी के बहाव को जगह देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पड़ोसी राज्य से अलमट्टी बांध से पानी छोड़ने को कहा है. उत्तर कर्नाटक में फिर से बाढ़ आने की आशंका कृष्णा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के बाद उत्तर कर्नाटक के कई क्षेत्रों में फिर से सैलाब आने का खतरा है.

WEATHER REPORT:Rivers are in spate in western Maharashtra, flood threat | पश्चिमी महाराष्ट्र में नदियां उफान पर, बाढ़ आने का खतरा

पश्चिमी महाराष्ट्र में नदियां उफान पर, बाढ़ आने का खतरा

भारी बारिश के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र की कई नदियां उफान पर हैं. इससे कोल्हापुर, सांगली और सातारा जिलों में बाढ़ आने का खतरा पैदा हो गया है. महाराष्ट्र सरकार के आग्रह के बाद कर्नाटक ने रविवार को अलमट्टी बांध से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा बढ़ा दी.

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर कर्नाटक सरकार ने बांध से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा 1,70,000 क्यूसेक से बढ़ाकर 2,20,000 क्यूसेक कर दिया है. अलमट्टी बांध कृष्णा नदी पर बना हुआ है और यहां हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना चल रही है.

यह उत्तरी कर्नाटक में बीजापुर और बगलकोट जिलों की सीमा पर है. सांगली तथा कोल्हापुर से केवल 200 किलोमीटर की दूरी पर है. कोल्हापुर और सातारा जिलों में पिछले तीन-चार दिनों से भारी बारिश हो रही है. इसकी वजह से कृष्णा बेसिन में कोयना, राधानगरी और अन्य बांधों से पानी बहाव नदी में जारी है.

मौजूदा पानी के बहाव को जगह देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पड़ोसी राज्य से अलमट्टी बांध से पानी छोड़ने को कहा है. उत्तर कर्नाटक में फिर से बाढ़ आने की आशंका कृष्णा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के बाद उत्तर कर्नाटक के कई क्षेत्रों में फिर से सैलाब आने का खतरा है.

करीब एक माह पूर्व ही क्षेत्र में 'अभूतपूर्व बाढ़' आई थी. कृष्णा और उसकी सहायक नदियों मालप्रभा, घाटप्रभा, वेदगंगा, दूधगंगा और हिरण्यकेशी नदी बेलगावी, बगलकोट, यादगिर और गडाग जिलों में तबाही मचाने के बाद फिर से उफान पर हैं. कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र (केएसएनडीएमसी) के निदेशक जी. एस. श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि पिछले तीन दिनों से हम नारायणपुर (बांध) से दो लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी छोड़ चुके हैं.

इससे कुछ पुल और बांध पानी में डूब गए हैं और संचार बाधित हुआ है. इस बार की स्थिति भी उतनी ही गंभीर हो सकती है जितनी एक महीने पहले आई बाढ़ के दौरान थी, जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी और मवेशियों की जान गई थी. इसके अलावा बुनियादी ढांचे और फसलों को भी नुकसान हुआ था.

केएसएनडीएमसी बांध में कृष्णा नदी के बढ़ते पानी की निगरानी कर रहा है. पिछले महीने आई बाढ़ से 22 जिलों की 103 तहसीलें प्रभावित हुई थीं.

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