‘हम अपराधी नहीं हैं’-फारूक अब्दुल्ला, अपने आवास को ‘उप जेल’ बताया, लिखा पत्र
By भाषा | Published: December 6, 2019 06:48 PM2019-12-06T18:48:15+5:302019-12-06T18:48:15+5:30
अब्दुल्ला ने निजी लेटरहेड पर अपने आवास को ‘‘उप जेल’’ बताया है। अब्दुल्ला पांच अगस्त के बाद से नजरबंद हैं और बाद में 17 सितंबर को उनपर सख्त लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाया गया। फिलहाल, वह गुपकर के अपने आवास पर हैं जिसे उप जेल घोषित किया गया है।
लोकसभा सदस्य और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को एक पत्र में कहा कि ‘‘हम अपराधी नहीं हैं।’
अब्दुल्ला ने निजी लेटरहेड पर अपने आवास को ‘‘उप जेल’’ बताया है। अब्दुल्ला पांच अगस्त के बाद से नजरबंद हैं और बाद में 17 सितंबर को उनपर सख्त लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाया गया। फिलहाल, वह गुपकर के अपने आवास पर हैं जिसे उप जेल घोषित किया गया है।
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद अब्दुल्ला समेत कई अन्य नेताओं को नजरबंद रखा गया है। केरल से लोकसभा सांसद थरूर ने 21 अक्टूबर को अब्दुल्ला को एक पत्र लिखा था, जो दो दिसंबर को उन्हें मिला।
पत्र में क्या लिखा गया था इसकी जानकारी नहीं है। पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने एक पैराग्राफ के अपने जवाब में थरूर के पत्र के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर का पत्र उन्हें उप जेल में उनके लिए तैनात मजिस्ट्रेट ने 2 दिसंबर को थमाया।
Letter from imprisoned FarooqSaab. Members of Parliament should be allowed to attend the session as a matter of parliamentary privilege. Otherwise the tool of arrest can be used to muzzle opposition voices. Participation in Parliament is essential 4 democracy&popular sovereignty. pic.twitter.com/xEQ45klWCb
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 5, 2019
थरूर ने अपने ट्विटर हैंडल पर अब्दुल्ला के जवाब को साझा किया है, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे मेरा डाक मुझे समय पर नहीं दे पाए। मैं जानता हूं कि संसद के वरिष्ठ सदस्य और राजनीतिक दल के नेता से इस तरह का व्यवहार नहीं होता है । हम अपराधी नहीं हैं। ’’
अपने ट्वीट में थरूर ने कहा कि सांसद को सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि यह संसदीय विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘वरना, गिरफ्तारी को विपक्ष की आवाज दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है । संसद में भागीदारी लोकतंत्र और संप्रभुता के लिए आवश्यक है।’’