हमने मनमोहन और आडवाणी जी को स्वीकार किया, 1947 में जितने भी शरणार्थी आए, सभी हमारे, नागरिकता संशोधन विधेयक पर शाह ने कहा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 9, 2019 07:51 PM2019-12-09T19:51:42+5:302019-12-09T19:51:42+5:30
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज जो हम बिल लाए हैं, उसका कुछ दलों ने विरोध किया है। लेकिन 1947 में जितने भी शरणार्थी आए थे, हमने उन सबको स्वीकार किया। मनमोहन सिंह जी और आडवाणी जी भी इनमें शामिल हैं। इन लोगों ने इस देश की विकास यात्रा में अपना योगदान दिया है।
भाजपा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को संविधान सम्मत बताते हुए कहा कि देश के विभाजन के बाद से पिछले 70 वर्षों से न्याय की आस लगाये प्रताड़ित लोगों को यह विधेयक शांति पहुंचाने वाला कदम है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारी संविधान सभा ने जो पंथ निरपेक्ष राज्य अपनाया, उसका हम सम्मान करते हैं। धर्म के आधार पर किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए। लेकिन किसी भी देश की सरकार का ये कर्तव्य है कि अपनी सीमाओं की रक्षा करे, शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान करे।
शाह ने कहा कि आज जो हम बिल लाए हैं, उसका कुछ दलों ने विरोध किया है। लेकिन 1947 में जितने भी शरणार्थी आए थे, हमने उन सबको स्वीकार किया। मनमोहन सिंह जी और आडवाणी जी भी इनमें शामिल हैं। इन लोगों ने इस देश की विकास यात्रा में अपना योगदान दिया है।
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि घुसपैठियों -शरणार्थियों में अंतर करना होगा जो विपक्ष के लोग जानबूझ कर नहीं स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं मनमोहन सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने इन दो नेताओं की बातों पर विचार करना चाहिए जिन्होंने पीड़ा झेलने वाले पड़ोस के अल्पसंख्यकों को लेकर चिंता जाहिर की थी।
भाजपा सांसद ने कहा कि कांग्रेस के लोगों के साथ दिक्कत है कि उन्होंने जो चश्मा लगा रखा है, उसमें दोष है और वही दोष उन्हें साफ साफ दिख रही चीजों को भी नहीं देखने दे रहा है। अग्रवाल ने कहा कि आजादी के बाद से जो लोग 70..75 वर्षों से प्रताड़ना का सामना कर रहे थे, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे देशों से आए ऐसे लोगों के मन को यह शांति पहुंचाने वाला है।
उन्होंने कहा कि देश के विभाजन के बाद लाखों की संख्या में लोग विस्थापित हुए और बड़ी संख्या में लोग मारे गए । उन्होंने कहा कि नेहरू लियायक समझौते के तहत दोनों देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने की बात कही गई थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोगों का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया गया और वहां की सरकार ने संरक्षण नहीं दिया । भाजपा सांसद ने कहा कि ऐसे पीड़ित लोगों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को समझते हुए यह पहल की गई है जिसके तहत अब वे नागरिकता के पात्र होंगे।
उन्होंने कहा कि अब देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों को पहला हक का समय बीत गया है और अब ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ का दौर है।