नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। जैसे ही रिजिजू ने बिल को पेश किया, उसके बाद विपक्षी दलों ने इसके विरोध में अपने-अपने तर्क रखे और विधेयक को वापस लेने की मांग की। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करते हुए एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान विरोधी बताया। उन्होंने केंद्र पर इस बिल के जरिए देश को बांटने का भी आरोप लगाया।
ओवैसी ने लोकसभा के पटल पर बिल का विरोध करते हुए कहा, "यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। यह विधेयक भेदभावपूर्ण और मनमाना दोनों है... इस विधेयक को लाकर आप (केंद्र सरकार) देश को जोड़ने का नहीं बल्कि बांटने का काम कर रहे हैं। यह विधेयक इस बात का सबूत है कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं।"
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, "यह विधेयक संविधान पर एक मौलिक हमला है...इस विधेयक के माध्यम से वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। यह धर्म की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है...इसके बाद ईसाइयों, फिर जैनियों का नंबर आएगा...भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे..."
वहीं डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा,"यह अनुच्छेद 30 का सीधा उल्लंघन है जो अल्पसंख्यकों को अपने संस्थानों का प्रबंधन करने से संबंधित है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को लक्षित करता है..।"
वक्फ (संशोधन) विधेयक क्या है?
दरअसल, वक्फ बोर्ड एक्ट इस्लाम को मानने वालों की प्रॉपर्टी और धार्मिक संस्थानों के मैनेजमेंट और रेगुलेशन के लिए बनाया गया केंद्र सरकार का कानून है। ये विधेयक पास होने के बाद वक्फ कानून 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 होगा। इस एक्ट का मकसद वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि धार्मिक और चैरिटेबल काम के लिए इनका उपयोग हो सके।