डोडा में पेयजल के वास्ते पाइपलाइन बिछाने के लिये खुद ही पैसे जोड़ रहे ग्रामीण

By भाषा | Published: January 24, 2021 08:29 PM2021-01-24T20:29:16+5:302021-01-24T20:29:16+5:30

Villagers themselves are adding money to lay pipelines for drinking water in Doda | डोडा में पेयजल के वास्ते पाइपलाइन बिछाने के लिये खुद ही पैसे जोड़ रहे ग्रामीण

डोडा में पेयजल के वास्ते पाइपलाइन बिछाने के लिये खुद ही पैसे जोड़ रहे ग्रामीण

भद्रवाह (जम्मू-कश्मीर), 24 जनवरी जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के सुदूर ठनहला पंचायत क्षेत्र में ग्रामीणों का दावा है कि बीते सात दशकों से अधिक समय से उनकी अनदेखी की जा रही है, लिहाजा इस सर्दी में उन्होंने अपने घरों में पीने का पानी लाने के लिये एक मिशन शुरू किया है।

आशापती ग्लेशियर की गोद में बसे बर्फ से ढके गांव के अधिकतर निवासी गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। दिक्कतें बढ़ने के चलते हाल ही में उन्होंने पानी के पाइप खरीदने के लिये 40 हजार रुपये इकट्ठा करने का फैसला किया। ग्रामीणों का मकसद इन पाइपों को नजदीकी जल स्रोत से जोड़कर अपने घरों तक नल से पानी लाना है।

स्थानीय निवासी ऐजाज अहमद कहते हैं, ''हमारे लिये यह कहावत सही है कि खुदा उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते हैं क्योंकि सरकार तो वर्षों से हमारे घरों में नलों से पानी पहुंचाने में बुरी तरह नाकाम रही है। सुविधाओं के अभाव के चलते हम पूरे साल और इस कड़ाके की ठंड तथा हिमस्खलन के खतरे के बीच भी नजदीकी जल स्रोत से पानी भरकर लाने को मजबूर हैं। ''

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की सीमा से लगे इस गांव में करीब 30 परिवार रहते हैं। यह गांव भद्रवाह-चंबा अंतर राज्यीय सड़क से केवल 1.5 किलोमीटर दूर है। गांव के ज्यादातर लोग भद्रवाह कस्बे में मजदूरी करते हैं।

गांव वालों का दावा है कि 'जल जीवन अभियान' के तहत 'हर घर नल योजना' के बावजूद किसी भी घर में नल से पानी की आपूर्ति नहीं हुई हैं।

भद्रवाह के अतिरिक्त उपायुक्त राकेश कुमार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हर घर में नल से जल की आपूर्ति सरकार की प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा, ''यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। मैं भद्रवाह के जल शक्ति विभाग के संबंधित महकमे के सामने यह मुद्दा उठाउंगा और यह कोशिश करूंगा कि जब तक जल जीवन मिशन के तहत पानी की स्थायी पाइपलाइन नहीं बिछ जाती तब तक गांव में भीषण ठंड के दौरान अस्थायी पाइपलाइन के जरिये पानी की आपूर्ति की जाए।''

गांव के एक और निवासी तालिब हुसैन कहते हैं कि पानी की आपूर्ति के लिये पाइप लाने की कोशिश में उन्होंने दर-दर की ठोकरें खाईं, लेकिन किसी ने उनकी परेशानियां नहीं सुनीं।

उन्होंने कहा, ''ऐसे हालात में हमारे पास अपनी रोज की कमाई से पैसे जमा करने के अलावा कोई चारा नहीं था।''

आयजा बानो (13) कहती हैं, ''मेरे पिता और बड़ा भाई मजदूरी करते हैं और इन हालात में लड़कियों के लिये अपने-अपने परिवारों के लिये पानी भरकर लाने का चलन बन गया है। यहां हर घर की यही कहानी है। इसी वजह से हमारे गांव की कोई भी लड़की आठवीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ पाई है। ''

आयजा ने उम्मीद जतायी कि नल से पानी उनके घरों में पहुंचने से उनके जीवन में कुछ बेहतरी आएगी।

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