विकास दुबे को पकड़ने की वाह-वाही के लिए सिक्योरिटी गार्ड ने सुनाई थी झूठी कहानी, पांच लाख रुपये के ईनाम का कौन है हकदार?
By बृजेश परमार | Published: July 12, 2020 05:44 AM2020-07-12T05:44:12+5:302020-07-12T05:44:12+5:30
मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी गोपाल सिंह कुशवाह के अनुसार निर्गम द्वार के पास में लड्डू काउंटर पर प्रसाद रखने गया था। उसी दौरान वहां एक व्यक्ति आया और उसने मुझसे पूछा बैग कहां रख सकते हैं मैंने उसे पास ही जूता स्टैंड का बता दिया।
उज्जैनः उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पहचानने और पकड़ने की टीवी पर कहानी सुनाने वाले एसआईएस सिक्योरिटी के कर्मी लखन ने लिखित में माना है कि उसका विकास को पहचानने और पकड़ने में कोई रोल नहीं था। उस पर कंपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रही है। विकास दुबे पर पांच लाख का ईनाम बोला गया था।
ईनामी बदमाश को पहचानने और पकड़ने वालों से शनिवार को पुलिस लाइन में अधिकारियों ने जानकारी ली है। पुलिस जांच के बाद ही यह तय होगा कि ईनाम के असली हकदार मीडिया में दावा करने वालों में से कौन हैं? विकास के पकड़ने जाने वाले दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में लगी एसआईएस सिक्योरिटी के कर्मचारी लखन यादव ने दावा किया था कि उसने एवं उसके सहकर्मियों ने सबसे पहले विकास को संदिग्ध स्थिति में देखा था और दर्शन के पहले ही उसे पकड़ लिया था।
सिक्योरिटी कंपनी के ब्रांच हेड़ अरविंद सिंह के अनुसार उसकी डयूटी मंदिर के डी गेट पर सती माता स्थल पर थी। उसके द्वारा मात्र प्रचार-प्रसार के लिए ऐसा किया गया। मीडिया को गलत जानकारी दी गई। इस बात को लेकर उसे समझाया गया है उसकी गलत जानकारी देने के मामले में उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है। लखन ने कंपनी को लिखित में दिया है कि उसने गलत जानकारी मीडिया को दी है।
गोपाल सिंह कुशवाह बोला मेरा कोई दावा नहीं
मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी गोपाल सिंह कुशवाह के अनुसार निर्गम द्वार के पास में लड्डू काउंटर पर प्रसाद रखने गया था। उसी दौरान वहां एक व्यक्ति आया और उसने मुझसे पूछा बैग कहां रख सकते हैं मैंने उसे पास ही जूता स्टैंड का बता दिया। वह बैग रखकर चला गया। जब मैं वापस लड्डू युनिट लौट रहा था तो मैंने देखा कि सुरक्षा गार्ड और आरक्षक विजय राठौर ने उसे बैठा रखा था। वह उससे पूछताछ कर रहे थे। मैंने उसे नहीं पहचाना था।
हार-फूल वाले सुरेश माली ने पहचानने का दावा किया
मंदिर के पास हार फूल की दुकान लगाने वाले सुरेश माली ने उसे पहचानने का दावा करते हुए बताया था कि उसकी दुकान पर विकास ने आकर वीआईपी दर्शन का पूछा था। उसका मुंह खुला हुआ होने से और सतत रूप से टीवी पर चल रहे उसके फोटो से मैंने उसे पहचानकर मंदिर के सिक्योरिटी के राहुल यादव को जानकारी दी थी।
चौकी आरक्षक राठौर ने पूछताछ में धरदबोचा
आरक्षक विजय राठौर ने बताया था कि वह वीआईपी द्वार के समीप डयूटी पर थे उन्हे संदिग्ध की सूचना मिलने पर उन्होंने उसे रोक कर उसके संबंध में जानकारी मांगी तो उसने अपना नाम नवीन बताते हुए एक आईडी बताया जिसमें उम्र 27 वर्ष अंकित थी, जबकि सामने खड़ा संदिग्ध 50 वर्ष के लगभग का होने से पूछे जाने पर उसने अपना नाम विकास दूबे बताया। तत्काल सूचना चौकी पर देते हुए सभी को अवगत करवाकर संदिग्ध को सिक्योरिटी कर्मचारियों के साथ चौकी पर लेकर आए। यहां उससे पुनः पूछने पर उसने नाम विकास दूबे कानपुर बताया। उसे पैदल ही महाकाल थाना लेजाकर सौंपा था।
सिक्योरिटी कर्मी राहुल शर्मा
पिछले 5 वर्षों से मंदिर में सिक्योरिटी का काम कर रहा हूं। सुरेश परिचित है उसने सूचना दी तो मैंने उसकी दुकान पर जाकर बातचीत की। उसने फोटो में मुझे बताया कि यह संदिग्ध विकास जैसा लग रहा है। मैंने इसकी सूचना चौकी आरक्षक विजय राठौर को दी। संदिग्ध से जब उसके बारे में पूछताछ की तो उसने नवीन नाम की आई डी निकाल कर बताई उसकी उम्र संबंधित से मैच नहीं हो रही थी। बाद में उसे चौकी ले जाया गया जहां उसने नाम विकास दूबे कानपुर बताया था। इसके बाद उसे महाकाल थाना ले जाया गया। उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि अभी इस मुद्दे पर नहीं सोचा गया है। ईनाम के मुद्दे पर विकास के उज्जैन पहुंचने की सब बातों को साफ करने के बाद ही देखेंगे।