विजय दिवसः ‘डेजर्ट स्कॉर्पियन’ कमांडो को 1971 के युद्ध में दिया गया वीरता प्रशस्ति-पत्र नष्ट, आरटीआई में खुलासा

By भाषा | Published: December 12, 2019 03:25 PM2019-12-12T15:25:03+5:302019-12-12T15:25:03+5:30

यूनिट ने सूचना के अधिकार के तहत किये गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। विशिष्ट 10 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) को ‘डेजर्ट स्कॉर्पियन’ के तौर पर जाना जाता है। इसे 1967 में स्पेशल फोर्सेज की 9 पैरा यूनिट को विभाजित कर स्थापित किया गया था और चार साल के अंदर ही इसे पहली कार्रवाई का प्रदर्शन करने का मौका मिला।

Victory Day: 'Desert Scorpion' commandos given in 1971 war, citation destroyed, revealed in RTI | विजय दिवसः ‘डेजर्ट स्कॉर्पियन’ कमांडो को 1971 के युद्ध में दिया गया वीरता प्रशस्ति-पत्र नष्ट, आरटीआई में खुलासा

जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर सवाई भवानी सिंह उर्फ टाइगर को दिया गया महावीर चक्र भी शामिल है।

Highlightsभारत ने पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग कर स्पष्ट रूप से 1971 की जंग जीती थी।इस दौरान विशिष्ट इकाई के सदस्यों को ‘बैटल ऑनर्स’ और शौर्य मेडल से सम्मानित किया गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के दौरान सेना की विशिष्ट 10 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) के कमांडो को वीरता के लिये दिये गए प्रशस्ति पत्र नष्ट कर दिए गए हैं।

यूनिट ने सूचना के अधिकार के तहत किये गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। विशिष्ट 10 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) को ‘डेजर्ट स्कॉर्पियन’ के तौर पर जाना जाता है। इसे 1967 में स्पेशल फोर्सेज की 9 पैरा यूनिट को विभाजित कर स्थापित किया गया था और चार साल के अंदर ही इसे पहली कार्रवाई का प्रदर्शन करने का मौका मिला।

भारत ने पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग कर स्पष्ट रूप से 1971 की जंग जीती थी और इस दौरान विशिष्ट इकाई के सदस्यों को ‘बैटल ऑनर्स’ और शौर्य मेडल से सम्मानित किया गया था। इसमें जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर सवाई भवानी सिंह उर्फ टाइगर को दिया गया महावीर चक्र भी शामिल है। सिंह ने इकाई का नेतृत्व किया था।

युद्ध के दौरान इकाई ने पाकिस्तान की सीमा में 80 किलोमीटर अंदर जाकर सफलतापूर्वक कई सर्जिकल स्ट्राइक कर चार रणनीतिक कस्बों पर कब्जा जमा लिया था, वह भी बिना किसी तरह का नुकसान के। सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने अपने एक आदेश में कहा कि पुरस्कार प्राप्त लोगों के विवरण चाहने वाले एक सवाल के जवाब में सीपीआईओ ने सूची दे दी लेकिन प्रशस्ति-पत्र के संबंधित रिकॉर्ड “प्रचलित नीति के मुताबिक नष्ट” कर दिये गए इसलिये उपलब्ध नहीं हैं।

उन्होंने याचिकाकर्ता के केंद्रीय सूचना आयोग में दस्तक देने के बाद यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि बिना प्रशस्ति-पत्र के इस सूची का कोई मतलब नहीं। प्रशस्ति-पत्र युद्ध के दौरान सैनिक द्वारा दिखाई गई वीरता का संक्षिप्त विवरण होता है जिसे उस वक्त पढ़ा जाता है जब उसे वीरता पुरस्कार दिया जाता है। सूचना के अधिकार मामलों के तहत सुनवाई की सर्वोच्च इकाई सीआईसी में दो मौकों पर सुनवाई के दौरान सीपीआईओ अनुपस्थित रहे, जिससे सिन्हा नाखुश थे।

उन्होंने कहा, “आयोग सीपीआईओ के आचरण पर गहरी आपत्ति व्यक्त करता है। यह प्रतिवादी के कार्यालय की आयोग और सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों के प्रति उनके अनादर को परिलक्षित करता है।” आयोग ने सीपीआईओ को निर्देश दिया कि वह प्रासंगिक रक्षा सेवा नियमावली का मजमून पेश करें जिसके तहत दस्तावेजों को नष्ट किया गया। आयुक्त ने सीपीआईओ को एक नोटिस जारी कर यह बताने को भी कहा है कि उनके खिलाफ सूचना के अधिकार कानून के तहत कारण बताओं कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

Web Title: Victory Day: 'Desert Scorpion' commandos given in 1971 war, citation destroyed, revealed in RTI

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