बनारस: नवंबर से गंगा में नहीं गिरेगा सीवेज, 33 साल पहले राजीव गांधी ने शुरू किया था प्रोजेक्ट, नितिन गडकरी करेंगे पूरा
By भाषा | Published: February 5, 2019 08:55 AM2019-02-05T08:55:49+5:302019-02-05T08:55:49+5:30
गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को वाराणसी में गंगा कार्य योजना की शुरुआत की थी। इसके
गंगा कार्य योजना की शुरुआत होने के तीन दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद इस वर्ष नवम्बर से पवित्र नदी में सीवेज का पानी नहीं जाएगा। गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को वाराणसी में गंगा कार्य योजना की शुरुआत की थी।
नितिन गडकरी के तहत आने वाले गंगा पुनरूद्धार मंत्रालय और राष्ट्रीय गंगा स्वछता मिशन (एनएमसीजी) ने वाराणसी में सीवर के पानी के शोधन के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं।
एनएमसीजी के अधिकारियों ने बताया, ‘‘ रमना के नजदीक 50 एमएलडी सीवेज शोधन संयंत्र का काम करीब करीब पूरा हो गया है। उम्मीद है कि यह इस साल नवंबर तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा और ‘अस्सी नाले’ से निकलने वाले पानी का शोधन करेगा। इससे वाराणसी शहर के सीवर के गंदे पानी को गंगा में जाने से पूरी तरह से रोका जा सकेगा।’’
शहर से रोजाना करीब 30 करोड़ लीटर सीवर का पानी निकलता है। पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा दीनापुर में 140 एमएलडी सीवेज शोधन संयंत्र का उद्घाटन करने से सीवर के पानी का शोधन करने की क्षमता में इजाफा हुआ है।
एनएमसीजी ने 36 घाटों की मरम्मत के लिए 11.73 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है जिनका काम इस साल जून तक पूरा होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने गंगा स्वच्छता की ओर कई योजनाएं शुरू की। बता दें कि गंगा स्वच्छता राष्ट्रीय मिशन की शुरूआत जून 2014 में हुई थी। इस मिशन को उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल के राज्य स्तरीय कार्यक्रम प्रबन्ध समूहों (एसपीएमजी) सहायता प्रदान करते हैं।