पुलिस सेवाओं में रिक्तियों को दिव्यांगता वाले लोगों के लिए निर्धारित आरक्षण से बाहर रखा गया: केन्द्र

By भाषा | Published: September 14, 2021 04:44 PM2021-09-14T16:44:47+5:302021-09-14T16:44:47+5:30

Vacancies in police services kept out of reservation for people with disabilities: Center | पुलिस सेवाओं में रिक्तियों को दिव्यांगता वाले लोगों के लिए निर्धारित आरक्षण से बाहर रखा गया: केन्द्र

पुलिस सेवाओं में रिक्तियों को दिव्यांगता वाले लोगों के लिए निर्धारित आरक्षण से बाहर रखा गया: केन्द्र

नयी दिल्ली, 14 सितंबर केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई)-2020 के लिए आईपीएस सहित चार पुलिस सेवाओं में रिक्त पदों के बारे में प्राप्त विवरण में से कुल 251 सीटों को दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूबीडी) के लिए निर्धारित आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अदालत को यह भी बताया है कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), डीएएनआईपीएस और पुडुचेरी पुलिस सेवा (पीओएनडीआईपीएस) को दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम के प्रावधान से छूट प्रदान की गयी है। इस कानून में कहा गया है कि दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूबीडी) के लिए आरक्षण किया जाना चाहिए।

अदालत दिव्यांगता अधिकार संगठनों की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यूडी) 2016 के अनुसार दृष्टिबाधित और बहुदिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गई हैं।

डीओपीटी ने एक हलफनामे में कहा, “सीएसई-2020 के लिए आईपीएस, आरपीएफ, डीएएनआईपीएस और पीओएनडीआईपीएस के लिए प्राप्त रिक्त पदों में से कुल 251 सीटों को पीडब्ल्यूबीडी के लिए आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है।”

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा, “छूट देने पर प्रतिवादी (डीओपीटी) के फैसले और प्रतिवादी के नवीनतम हलफनामे को देखते हुए, यहां सूचीबद्ध पदों के लिए यूपीएससी में साक्षात्कार हो रहे हैं, चयन का परिणाम, इन दो रिट याचिकाओं के परिणाम के अधीन होगा।’’

अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई की तिथि एक अक्टूबर तय की।

केंद्र सरकार के स्थायी वकील मनीष मोहन के माध्यम से दायर हलफनामे में कहा गया है कि सीएसई-2020 के नोटिस में रिक्ति की स्थिति को इंगित करने वाली मौजूदा मिसाल या प्रथा में कोई बदलाव नहीं हुआ है और इसमें कोई अनियमितता नहीं बरती गई है।

ये याचिकाएं गैर सरकारी संगठन संभावना और एवारा फाउण्डेशन ने दायर की हैं। अधिवक्ता कृष्ण महाजन के माध्यम से दायर याचिका में संभावना ने आरोप लगाया है कि परीक्षा की सूचना में दिव्यांग वर्ग के लिये कानून के तहत अनिवार्य चार फीसदी आरक्षण का नहीं बल्कि अपेक्षित रिक्त स्थानों का जिक्र है। दूसरी ओर, एवारा फाउण्डेशन ने दलील दी है कि दृष्टिबाधित और बहुदिव्यांगों के लिये अर्पाप्त संख्या में रिक्तियों को विज्ञापित किया गया है जिसकी वजह से इन दो श्रेणियों के बहुत ही कम अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिये पात्र हो पायेंगे।

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