उत्तराखंड: अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज, मुख्य सचिव ने जारी किया 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का आदेश
By विशाल कुमार | Published: December 8, 2021 10:40 AM2021-12-08T10:40:05+5:302021-12-08T10:43:36+5:30
उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू द्वारा मंगलवार को सभी सचिवालयों, विभागीय प्रमुखों और जिलाधिकारियों को 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का आदेश जारी करने के बाद यह कदम उठाया गया है. आदेश में कहा गया था कि हड़ताल पर गए सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जाए।
देहरादून: बीते मंगलवार को उत्तराखंड सचिवालय संघ के कर्मचारी बीमा कवर सहित कई अन्य मांगों को लेकर काम का बहिष्कार करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए जिसके बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू द्वारा मंगलवार को सभी सचिवालयों, विभागीय प्रमुखों और जिलाधिकारियों को 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का आदेश जारी करने के बाद यह कदम उठाया गया है. आदेश में कहा गया था कि हड़ताल पर गए सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जाए।
उत्तराखंड सचिवालय के अनिश्चिकाल के लिए बंद करने बाद अधिकारियों का नाम लिए बिना राज्य सरकार ने देर रात अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
Dehradun: An FIR has been filed against unknown persons in connection with the indefinite strike of Uttarakhand Secretariat Association that began on Tuesday
— ANI (@ANI) December 8, 2021
देहरादून पुलिस के अनुसार, मंगलवार को बिना किसी मंजूरी के अज्ञात लोग सचिवालय परिसर में इकट्ठा हुए और राज्य सचिवालय में काम कर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों को काम करने से रोक दिया।
अभी तक अभिनंदन देखा है, अब आंदोलन देखेगी सरकार
मंगलवार को विभिन्न मांगों पर सकारात्मक रुख के बाद सोमवार को दिन में सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अभिनंदन किया था। लेकिन कैबिनेट की बैठक में भत्ते सहित किसी भी मांग के न आने के बाद सचिवालय संघ में आक्रोशित हो गया।
सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने सचिवालय परिसर स्थित एटीएम चौक पर आम सभा बुलाई। सभा में उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक अभिनंदन देखा है, अब आंदोलन देखेगी।
उन्होंने सचिवालय संघ के घटक संघों, वाहन चालक संघ, सचिवालय सुरक्षा संगठन से भी आह्वान किया कि बुधवार से वे भी हड़ताल में शामिल हों। बताया कि बुधवार से न तो किसी भी अधिकारी का वाहन चलेगा और न ही सचिवालय की सुरक्षा की व्यवस्था संभाली जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने संघ की घोषणा के खिलाफ चलने की कोशिश की तो उसके खिलाफ संघ कार्रवाई करेगा।
एससी-एसटी कार्मिक संघ ने खुद को अलग किया
हालांकि, उत्तराखंड सचिवालय एससी-एसटी कार्मिक संघ ने खुद को उत्तराखंड सचिवालय संघ के आंदोलन से अलग कर लिया है। कार्मिक संघ ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा कि चूंकि सचिवालय संघ के आंदोलन की मांगों में उनसे जुड़ी मांगें शामिल नहीं हैं, इसलिए वह इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। लिहाजा, उन्हें इससे अलग माना जाए।
ये है मांगें?
उत्तराखंड सचिवालय संघ के कर्मचारियों की मांग है कि ग्रेड पे पर 50 फीसदी सचिवालय भत्ता को बदलकर मूल वेतन पर 10 फीसदी किया जाए और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ग्रेड पे को बढ़ाने की भी मांग है।
इसके साथ ही पांच वर्ष अनुभव वाले समीक्षा अधिकारियों के 4800 ग्रेड-पे को बढ़ाने और राज्य संपत्ति विभाग के वाहन चालकों को सचिवालय प्रशासन में सम्मलित करने की भी मांग है।