Uttar Pradesh: शिक्षकों की कमी से जूझ रहे यूपी के माध्यमिक स्कूल, 25,000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली

By राजेंद्र कुमार | Updated: May 10, 2025 17:04 IST2025-05-10T17:04:41+5:302025-05-10T17:04:52+5:30

इन माध्यमिक स्कूलों में 25 हजार  से अधिक शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली हैं. चार साल पहले सरकार ने इस स्कूलों के खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला था, लेकिन इसके लिए अभी तक परीक्षा ही नहीं हुई है.

Uttar Pradesh: Secondary schools in UP are facing shortage of teachers, more than 25,000 teacher posts are vacant | Uttar Pradesh: शिक्षकों की कमी से जूझ रहे यूपी के माध्यमिक स्कूल, 25,000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली

Uttar Pradesh: शिक्षकों की कमी से जूझ रहे यूपी के माध्यमिक स्कूल, 25,000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली

लखनऊ: देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. राज्य में 4,512 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल हैं. इन माध्यमिक स्कूलों में 25 हजार  से अधिक शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली हैं. चार साल पहले सरकार ने इस स्कूलों के खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला था, लेकिन इसके लिए अभी तक परीक्षा ही नहीं हुई है. परिणाम स्वरूप सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित और साइंस सहित दूसरे विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की भारी कमी है. 

सूबे की राजधानी लखनऊ के सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में भी शिक्षकों के 50 फीसदी पद खाली हैं. इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर तो पड़ ही रहा है, स्कूलों में छात्रों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने इस मामले को उठाते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की मांग की है. 

शिक्षकों के यह पद हैं रिक्त : 

शिक्षकों के रिक्त पदों को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव का कहना है कि निदेशालय की ओर से शिक्षकों के खाली पदों का ब्योरा शासन को भेजा गया है. जल्दी ही इस मामले को सरकार से स्तर से फैसला लिया जाएगा. फिलहाल सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी का मामला गरमाता जा रहा है. विपक्षी दलों के नेता सूबे की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी पर इस मामले में सुस्ती दिखाए जाने का आरोप लगा रहे हैं. 

समाजवादी पार्टी के विधायक नाफीस अहमद कहते हैं कि जिस राज्य के 4,512 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के 25,000 हजार पद खाली हो उस राज्य में बच्चों की पढ़ाई का स्तर क्या होगा, उसे समझा जा सकता. वह कहते हैं, यूपी के मुख्यमंत्री प्रदेश में सबको शिक्षा देने का दावा करते हैं लेकिन वह सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती करने की दिशा में कोई तेजी नहीं दिखा रहे हैं. 

जबकि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के शासन को भेजे गए प्रस्ताव में यह बताया गया है कि यूपी में सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) के स्वीकृत 70,803 पदों में से 20,999 पद खाली हैं. प्रवक्ता के स्वीकृत 22,220 पदों के सापेक्ष 4,703 पद खाली हैं. प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापकों के 4,512 पद में से 2,833 पद  खाली हैं. यानी हर स्तर पर शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से कम पदों पर ही शिक्षक है. 

शिक्षक संघ की मांग : 

इन्हीं रिक्त पदों को भरने के लिए  उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव से बीते दिनों मिले. इस मुलाक़ात में उन्होंने डॉ. महेन्द्र देव से कहा कि शिक्षकों की कमी के कारण ही इस बार बोर्ड की परीक्षाओं में हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के छात्र बड़ी संख्या में फेल हुए हैं. इसलिए इस मामले में अब त्वरित कार्रवाई करते हुए शिक्षकों के रिक्त पदों को भरे जाने की कार्रवाई की जाए. 

सोहनलाल वर्मा का कहना है कि प्रदेश में गांव से लेकर शहर में सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल ही गरीब और मध्य आय वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने का जरिया हैं. हर साल करीब 20 लाख बच्चों इन्ही स्कूलों में कक्षा छह से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई कर निकलते हैं. लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण अब इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आ रही है. जिसका संज्ञान लेते हुए ही सोहनलाल वर्मा ने इस मामले में सरकार से मांग की है कि शिक्षकों की तरह प्रधानाचार्य के पदों की भी भर्ती लिखित परीक्षा कराई जाए ताकि स्कूलों को नियमित प्रधानाचार्य मिलें और जिससे पढ़ाई पर आ रहा संकट समाप्त हो. 

शिक्षा केवल अच्छे अंकों तक सीमित नहीं होनी चाहिये : सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कहा कि शिक्षा केवल अच्छे अंकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे नैतिक मूल्यों, संस्कारों और राष्ट्र प्रथम की भावना से जोड़ना चाहिए. सीएम योगी के अनुसार, हम अक्सर शिक्षा को अंकों तक सीमित कर देते हैं, लेकिन शिक्षा का उद्देश्य जीवन निर्माण है.  एक ऐसा जीवन जो देश के लिए उपयोगी हो, समाज के लिए प्रेरणा हो. जब हम शिक्षा को संस्कारों और राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ते हैं, तभी विकसित भारत की नींव रखी जा सकती है. विकसित भारत वह होगा, जहां हर नागरिक सुरक्षित-समृद्ध और आत्मनिर्भर हो. त होंगी। सीएम योगी ने शनिवार को एक मॉन्टेसरी स्कूल में आयोजित शिक्षक धन्यवाद समारोह में यह बातें कहीं. 

Web Title: Uttar Pradesh: Secondary schools in UP are facing shortage of teachers, more than 25,000 teacher posts are vacant

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