श्रीराम मंदिर भूमि पूजनः शुभ मुहूर्त को लेकर प्रश्नचिन्ह, 5 अगस्त को अभिजीत मुहूर्त नहीं है?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 24, 2020 09:33 PM2020-07-24T21:33:04+5:302020-07-24T21:33:04+5:30
शुभ मुहूर्त 5 अगस्त को मध्याह्न 12 बजकर 15 मिनट के लगभग है, जिसे काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है. इस अवसर पर नींव पूजन के लिए काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी के साथ तीन आचार्य रहेंगे.
जयपुरः अयोध्या में बनने जा रहे श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन अगस्त के पहले सप्ताह में होगा, जिसमें काशी के विद्वान अनुष्ठान करेंगे. खबर है कि श्रीरामजन्म भूमि मंदिर के नींव पूजन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को पांच अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में समय दिया जाएगा.
यह शुभ मुहूर्त 5 अगस्त को मध्याह्न 12 बजकर 15 मिनट के लगभग है, जिसे काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है. इस अवसर पर नींव पूजन के लिए काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी के साथ तीन आचार्य रहेंगे.
उधर, ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के लिए पांच अगस्त के मुहूर्त पर प्रश्नचिन्ह लगाया है. उनका कहना था कि कोई कार्य उत्तम काल खंड में शुरू किया जाता है. पांच अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है और शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है. यदि द्रिक पंचाग को देखें तो 5 अगस्त 2020 को अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है, बल्कि इस दिन तो दोपहर 12.07 से लेकर 1.47 बजे तक राहुकाल है.
द्रिक पंचाग के अनुसार- ऐसा माना जाता है की भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध अभिजीत मुहूर्त में ही किया था. इसके अतिरिक्त, अभिजीत मुहूर्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त है, जिसके फलस्वरूप भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से अभिजीत मुहूर्त के दौरान पड़ने वाले असंख्य दोषों का नाश कर देते हैं.
यह ध्यान देने योग्य बात है कि अभिजीत मुहूर्त बुधवार के दिन उपयुक्त नहीं माना गया है, क्योंकि बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त हानिकारक मुहूर्त का निर्माण करता है. शुभ मुहूर्त के संबंध में ब्रह्मलीन पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी ने लिखा था कि- जीवन में सफलता के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें किन्तु शुभ कर्मों की उपेक्षा न करें.
शुभ कर्म, शुभ मुहूर्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि शुभ मुहूर्त तो महज अच्छे परिणाम के लिए राह आसान करता है लेकिन शुभ कर्म के हमेशा अच्छे ही परिणाम होते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो न कभी रावण नाकामयाब रहता और न ही दुर्योधन पराजित होता.
रावण तो स्वयं ज्योतिष का अच्छा ज्ञाता था और सभी राजा-महाराजाओं के पास अपने खास ज्योतिष होते थे, अर्थात... शुभ समय जानने की सुविधा सभी के पास थी. दरअसल किसी शुभ क्षण में प्रारम्भ किए गए कार्य का परिणाम अच्छा होता है, लेकिन सुक्ष्मता से ऐसे शुभ क्षण को पहचानना और कार्य आरम्भ करना बहुत मुश्किल होता है.
जिनके इरादे नेक नहीं होते हैं वे कभी शुभ क्षण में कार्य आरम्भ नहीं कर पाते हैं और जो शुभ संकल्प के साथ कार्य आरम्भ करते हैं, उन्हें शुभ मुहूर्त अपने आप आ मिलते हैं. मुहूर्त के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग गणनाएं, मान्यताएं और विश्वास हैं. कहीं चौघडिया महत्वपूर्ण है, तो कहीं राहुकाल. कहीं तिथि उपयोगी है, तो कहीं वार.
इसलिए कई बार एक क्षेत्र में जिस समय को शुभ मुहूर्त माना जाता है, किसी अन्य क्षेत्र में वही समय शुभ नहीं माना जाता है. बाधा रहित कामयाबी के लिए शुभ समय में कार्य शुरू करने का महत्व है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि विश्वास, प्रसन्नता और शुभ संकल्प के साथ कार्य आरम्भ किया जाए. शुभ कर्म ही शुभ परिणाम की दिशा में ले जाता है!