खतौली विधानसभा उपचुनावः 5 को चुनाव और 8 दिसंबर को मतगणना, जानें क्यों हो रहा चुनाव
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 8, 2022 01:11 PM2022-11-08T13:11:00+5:302022-11-08T13:43:13+5:30
मुजफ्फरनगर जिले के खतौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक विक्रम सिंह सैनी को सांसद-विधायक अदालत द्वारा मुजफ्फरनगर दंगे के आरोप में दो वर्ष की सजा सुनाये जाने के 27 दिन बाद विधानसभा सचिवालय ने खतौली विधानसभा सीट को रिक्त घोषित करते हुए आशय का आदेश जारी किया था।
नई दिल्लीः भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश के खतौली उपचुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। 5 दिसंबर को चुनाव और मतगणना 8 दिसंबर को होगी। 2022 के लिए अब तक की सभी रिक्तियों को उप-चुनाव के लिए इस घोषणा के साथ कवर किया गया है।
इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने ओडिशा, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उपचुनावों की तारीख की घोषणा की थी। 5 दिसंबर को मतदान होगा। इन उपचुनावों के लिए वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी, जब हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।
Election Commission of India announces the schedule of Uttar Pradesh's Khatauli by-election - polls to be held on December 5th; counting of votes to be on December 8th.
— ANI (@ANI) November 8, 2022
All vacancies for 2022 as of now are covered with this announcement for by-election. pic.twitter.com/Qr3HOk94Kx
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में संसदीय सीट के लिए मतदान होगा। विधानसभा सीटों के लिए ओडिशा के पदमपुर, राजस्थान के सरदारशहर, बिहार के कुरहानी, छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर (एसटी) और उत्तर प्रदेश के रामपुर में मतदान होगा। सभी मतदान केंद्रों में उप-चुनावों में ईवीएम और वीवीपैट का उपयोग करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होगा। चुनाव आयोग ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विक्रम सिंह को वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े मामले में दोषी ठहराये जाने एवं दो साल की सजा दिये जाने के मद्देनजर इस सीट पर चुनाव अनिवार्य हो गया था।
दोषी ठहराये जाने के बाद सिंह को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था और हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने इसे अधिसूचित कर दिया था। सितंबर 2013 में कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के भड़काऊ भाषण के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा शुरू हो गई थी। इसमें कम से 60 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग दंगे के दौरान पलायन कर गए थे।
मुजफ्फरनगर जिले के खतौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक विक्रम सिंह सैनी को सांसद-विधायक अदालत द्वारा मुजफ्फरनगर दंगे के आरोप में दो वर्ष की सजा सुनाये जाने के 27 दिन बाद विधानसभा सचिवालय ने खतौली विधानसभा सीट को रिक्त घोषित करते हुए आशय का आदेश जारी किया था।
इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर सैनी की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता भी 11 अक्टूबर से स्वत: ही रद्द हो गयी है। सैनी को मुजफ्फरनगर की सांसद-विधायक अदालत ने 11 अक्टूबर, 2022 को दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि विक्रम सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा निर्वाचन (2022) में खतौली विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे।
मुजफ्फरनगर जिले के जानसठ थाना क्षेत्र में दर्ज भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (बलवा), 148 (हथियारों से लैस होकर बलवा करना) धारा 336 (मानव जीवन को खतरा उत्पन्न करना), 149 (विधि विरुद्ध जन समूह का नेतृत्व और सभा में शामिल होना), 353 (लोकसेवक पर हमला), 504 (जानबूझकर अपमान करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत विशेष सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए अदालत ने सैनी दो वर्ष कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के 10 जुलाई, 2013 के फैसले के क्रम में 11 अक्टूबर, 2022 से अयोग्य माने जाएंगे।
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘यह अधिसूचित किया जाता है कि उप्र विधानसभा में विक्रम सिंह का स्थान 11 अक्टूबर, 2022 से रिक्त हो गया है।’’ सर्वोच्च न्यायालय के 10 जुलाई, 2013 के फैसले के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक, दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को "ऐसी सजा की तारीख से" सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल की सजा पूरी करने के बाद छह साल तक वह अयोग्य रहेगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मोहम्मद आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त किये जाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को 29 अक्टूबर को पत्र लिखकर उनके ‘त्वरित न्याय की मंशा’ पर सवाल उठाया था और खतौली से भारतीय जनता पार्टी के विधायक विक्रम सिंह सैनी का हवाला देते हुए उन्होंने पूछा था कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है?