योगी आदित्यनाथ बर्थ डे: जानें अजय सिंह बिष्ट से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का सफर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 5, 2019 09:43 AM2019-06-05T09:43:54+5:302019-06-05T09:43:54+5:30
1993 में पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए थे। इसके बाद गोरक्षपीठ में उन्होंने दीक्षा ली। सिर्फ 22 साल की उम्र में वह पूर्ण संन्यासी बन गए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज जन्मदिवस है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी को ट्विट कर जन्मदिन की बधाई दी है। सीएम बनने से पहले योगी गोरखपुर लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं।
21 साल की उम्र में घर छोड़ा
सिर्फ 21 साल की उम्र में योगी आदित्यनाथ 1993 में गोरखपुर चले आए थे। उनका असल नाम अजय सिंह बिष्ट है। योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ। चार भाई और तीन बहनों में योगी दूसरे नंबर पर हैं। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो एक फॉरेस्ट रेंजर थे, और इनकी मां का नाम सावित्री देवी है।
गणित में स्नातक हैं योगी
योगी ने गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी किया है। गोरखपुर आने पर वह गोरखपुर मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी बने। 1998 में गुरु अवैद्यनाथ के राजनीति में संन्यास लेने के चलते उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1999, 2004, 2009, 2014 लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की।
नाथ संप्रदाय को मानने वाले योगी
1993 में पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए थे। इसके बाद गोरक्षपीठ में उन्होंने दीक्षा ली। सिर्फ 22 साल की उम्र में वह पूर्ण संन्यासी बन गए। 12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हें यहां का महंत बनाया गया। 2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।
मत्सयेंद्र ने शुरू की थी नाथ परंपरा
8वीं में संत मत्सयेंद्र नाथ ने नाथ संप्रदाय की शुरुआत की थी। इसके बाद उनके शिष्य गोरखनाथ ने इस संप्रदाय का नाम जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। नाथ संप्रदाय के लोगों ने जाति प्रथा के खिलाफ एक बड़ा सामाजिक आंदोलन चलाया है। इस समुदाय के अनुनायी अधिकतर पिछड़ी और दलित जातियों के हैं। यही वजह भी है कि सभी धर्मों के लोग नाथ संप्रदाय में योगी हुए हैं।
मठ और राजनीति का पुराना रिश्ता
गोरखनाथ मठ का राजनीति में सक्रियता का सिलसिला काफी पुराना है। अवैद्यनाथ के गुरु महंत दिग्विजयनाथ आजादी के दिनों से ही हिंदू महासभा से जुड़े हुए थे। 1962 में कांग्रेस नेता ठाकुर सिंहासन सिंह ने हिंदू महासभा के टिकट पर लड़ने वाले महंत दिग्विजय नाथ को हराया था। 1967 लोकसभा चुनाव में पहली बार गोरखपुर की राजनीति में मठ का खाता खुला। इसके बाद अवैद्यनाथ ने 1970 लोकसभा उप चुनाव, 1989, 1991 और 1996 में इस सीट से जीत हासिल की थी।