मलेरिया की दवा निर्यात होने की खबर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा- 'पीएम मोदी महान हैं और एक अच्छे नेता हैं'
By पल्लवी कुमारी | Published: April 8, 2020 11:22 AM2020-04-08T11:22:44+5:302020-04-08T11:22:44+5:30
कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (मलेरिया की दवा) की दवाई मददगार साबित हो रही है। भारत से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर मलेरिया की दवाई यानी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन भेजने का अनुरोध किया था। भारत ने इसके बाद दवाई के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है।
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा (मलेरिया की दवा) मिलने की खबर के बाद कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महान हैं और एक अच्छे नेता हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इस वक्त भारत को भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा (मलेरिया की दवा) की जरूरत है लेकिन फिर भी उन्होंने हमारी मदद की है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका ने 29 मिलियन दवा की डोज खरीदी है, जिसमें से ज्यादातर दवा भारत से मिलेगी। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से मलेरिया की दवाई यानी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन भेजने का अनुरोध किया था। इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया की दवाई ना भेजने की स्थिति में भारत को इसके पलटवार और जवाबी कार्रवाई के भी संकेत दिए थे। जिसके बाद भारत ने पेरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर लगे बैन को हटा दिया है और निर्यात का फैसला लिया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप के Fox News से बात करते हुए कहा है, ''मैंने 29 मिलियन से भी ज्यादा दवाई खरीदी है। मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात की, इसका बहुत हिस्सा भारत से बाहर आने वाला है। मैंने उनसे पूछा कि क्या वह इसे जारी करेंगे? वह (पीएम मोदी) बहुत महान हैं। वह वास्तव में एक अच्छे नेता हैं। आपको पता है कि भारत ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन वहां से काफी जरूरत की चीजें आ रही हैं। बहुत से लोग इसे देख रहे हैं और कह रहे हैं, आप जानते हैं कि मैं बुरी कहानियां नहीं सुनता, मैं अच्छी कहानियां सुनता हूँ। और मैं वहां के बारे में कुछ भी नहीं सुन सकता है, जहां से यह मौत का कारण बन रहा था।"
डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया की दवाई ना मिलने पर भारत को जवाबी कार्रवाई के संकेत दिए थे
अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के रोगियों की बढ़ती संख्या के बीच उनके इलाज के लिए इस दवा के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे हैरानी होगी अगर वह (भारत) करेंगे, क्योंकि आप जानते हैं कि भारत का अमेरिका के साथ व्यवहार बहुत अच्छा रहा है।’’ कोरोना वायरस से अमेरिका में अब तक 10,000 से अधिक अमेरिकी लोगों की जान जा चुकी है और 3.6 लाख से अधिक संक्रमित हैं। मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन को कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है।
ट्रंप ने कहा कि भारत कई वर्षों से अमेरिकी व्यापार नियमों का फायदा उठा रहा है, और ऐसे में अगर नई दिल्ली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के निर्यात को रोकता है, तो उन्हें हैरानी होगी। उन्होंने कहा, "अगर ये उनका निर्णय है, तो मुझे हैरानी होगी। उन्हें इस बारे में मुझे बताना होगा। मैंने रविवार सुबह उनसे (पीएम नरेंद्र मोदी) बात की, उन्हें फोन किया, और मैंने कहा कि हम इस बात की सराहना करेंगे, यदि आप आपूर्ति होने देंगे। अगर वे इसकी इजाजत नहीं देंगे, तो कोई बात नहीं, लेकिन जाहिर तौर पर इसकी प्रतिक्रिया हो सकती है। क्यों नहीं होनी चाहिए?"
भारत ने पेरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर लगे बैन को हटाया
विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से मंगलवार (7 अप्रैल) को कहा गया है कि कोडिव-19 महामारी के मद्देनज़र यह निर्णय लिया गया है कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों (जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं) को उचित मात्रा में पेरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का लाइसेंस देगा। हम इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कुछ देशों को भी करेंगे जो विशेष रूप से महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा,कुछ मीडिया संस्थान कोविड-19 से जुड़ी दवाओं और फार्मास्युटिकल्स को लेकर बिना किसी बात के विवाद खड़ा कर रहे हैं। हम किसी भी जिम्मेदार सरकार की तरह हम पहले यह देखेंगे कि हमारे पास अपे लोगों के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है या नहीं। इसी वजह से कुछ दवाओं के निर्यात को रोकने के लिए अस्थायी कदम उठाए भी गए थे। जरूरी दवाओं की पर्याप्त स्टॉर की पुष्टि होने के बाद इसपर से रोक हटा ली गई है। सोमवार (6 अप्रैल) को डीजीएफटी ने 14 दवाओं पर लगी रोक हटाने के बारे में सूचित किया है।लेकिन फिर भी हम पैरासीटामॉल और हाइड्रोक्लोरोक्वीन को लाइसेंस की कैटिगरी में रखेंगे। इसकी मांग पर लगातार सरकार द्वारा नजर रखी जाएगी। हालांकि स्टॉक की स्थिति देखते हुए हमारी कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक निर्यात कर सकती हैं।