मोदी सरकार को 3.60 लाख करोड़ रुपये न देने की जिद बनी उर्जित पटेल के इस्तीफे की वजह?
By विकास कुमार | Published: December 10, 2018 07:06 PM2018-12-10T19:06:31+5:302018-12-10T19:06:31+5:30
जिस तरह से नरेन्द्र मोदी और अरुण जेटली ने ट्वीट के द्वारा उन्हें उनके काम ले लिए सराहा है, इससे लगता है कि इस इस्तीफे का स्क्रिप्ट बहुत दिन पहले ही लिखा जा चुका था।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने इसकी जानकारी अपने वेबसाइट पर दी। उनके इस्तीफे के बाद नेताओं और अर्थशास्त्रियों की लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने जहां इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर बताया है वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उनकी सेवा के लिए तारीफ की है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि उन्हें इस विषय में उर्जित पटेल से बातचीत करनी चाहिए। लेकिन जिस तरह से नरेन्द्र मोदी और अरुण जेटली ने ट्वीट के द्वारा उन्हें उनके काम ले लिए सराहा है, इससे लगता है कि इस इस्तीफे का स्क्रिप्ट बहुत दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी। हाल के दिनों में मोदी सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक कार्यक्रम में सरकार को आरबीआई के स्वायत्ता में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी थी।
आचार्य ने कहा था कि जिन देशों में केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता के साथ खिलवाड़ किया जाता है वहां आने वाले दिनों में तबाही निश्चित होती है। अर्जेंटीना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा था, ''अर्जेंटीना के केंद्रीय बैंक के गवर्नर को जमा पूंजी सरकार को देने के लिए मज़बूर किया गया था। अर्जेंटीना को डिफ़ॉल्टर तक होना पड़ा था। अर्जेंटीना को सरकार के हस्तक्षेप की भारी क़ीमत चुकानी पड़ी थी।''
मोदी सरकार पर डिप्टी गवर्नर का निशाना
विरल आचार्य के इस बयान के बाद सरकार ने भी आरबीआई की खुली आलोचना करनी शुरू कर दी थी। अरुण जेटली ने बैंकों में बढ़ते एनपीए के लिए आरबीआई की खुली आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यूपीए के शासन काल में जिस तरह से आरबीआई ने आंखें मूंदें रखी उससे बैंकों में एनपीए का पहाड़ खड़ा हो गया। इस पलटवार के कुछ दिन बाद सरकार और आरबीआई के बीच लड़ाई का मुख्य कारण खुलकर सामने आया।
ऐसा कहा जाता है कि सरकार ने आरबीआई से उसके साढ़े नौ लाख करोड़ के रिज़र्व में से 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपये की मांग रखी जिसे आरबीआई ने नकार दिया था। मीडिया में इन ख़बरों के आने के बाद सरकार ने इस बात से इंकार किया था। लेकिन सरकार ने आरबीआई के सरप्लस रिज़र्व को लेकर सवाल जरूर उठाया था। फिर ऐसी ख़बरें आने लगी कि सरकार सेक्शन 7-a का इस्तेमाल कर आरबीआई को पैसे देने के लिए मजबूर कर सकती है। लेकिन इस मुद्दे के राजनीतिकरण ने सरकार को सेक्शन 7 a लगाने से रोक दिया।
एस गुरुमूर्ति भी हो सकते हैं कारण
माना जा रहा है कि आरबीआई के बोर्ड में शामिल एस गुरुमूर्ति की दखलंदाजी भी आरबीआई और सरकार के बीच मतभेद का प्रमुख कारण बनी। तमाम नीतिगत फैसलों के बीच-बीच में उर्जित पटेल के इस्तीफे की चर्चा होने लगी थी। ऐसा लगने लगा था कि उर्जित पटेल अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेंगे।
चुनावी साल में सरकार को पैसों की जरुरत होना लाजिमी है। मोदी सरकार की ऐसी कई योजनायें हैं जिन्हें फंड की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। खैर, उर्जित पटेल ने इस्तीफे के कारण को निजी बताया है। लेकिन जिस तरह से कुछ दिनों से सरकार और आरबीआई में तनातनी चल रही थी इससे साफ पता चलता है कि यह इस्तीफा सरकार के दबाव में हुआ है।
अब देखना ये होगा कि नई जिम्मेवारी कौन संभालता है ? क्या अब आरबीआई का गवर्नर वही बनेगा जो सरकार को 3 लाख 60 हजार करोड़ का 'दान' देगा ?