सीएम नीतीश से मिले उपेंद्र कुशवाहा, नए सियासी समीकरण के संकेत, रालोसपा का जदयू में हो सकता है विलय
By एस पी सिन्हा | Published: December 5, 2020 09:04 PM2020-12-05T21:04:46+5:302020-12-05T21:05:44+5:30
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हुई मुलाकात के बाद अटकलें लगनी शुरू हो गयी हैं.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी का खाता भी खुलवाने में असफल रहे रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा अब भविष्य की राजनीति को लेकर एक बार फिर नीतीश कुमार के करीब आते दिख रहे हैं.
बताया जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार से पहले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में विलय हो सकता है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. इसतरह से विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर प्रदेश में राजनीतिक हलचल जैसा दिख रहा है.
एक ओर विधान परिषद की मनोनयन कोटे की दर्जन भर सीटों को भरे जाने को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है, तो दूसरी ओर हार की समीक्षा कर रहा जदयू कुछ दिग्गज नेताओं को पार्टी में लाकर पिछडे और मुस्लिम वोटरों के बीच पैठ जमाने की कोशिश में है. इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री से उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात को जोड़ कर देखा जा रहा है. जबकि उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल किसी नए राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना से इनकार कर रहे हैं.
कुशवाहा ने नीतीश कुमार से पिछले दिनों मुलाकात की है
उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से पिछले दिनों मुलाकात की है और खुद कुशवाहा ने इस बात की जानकारी अपनी पार्टी की बैठक में दी. अब कुशवाहा एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक राह पर आगे बढ़ते देख सकते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार से जब उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले दिनों मुलाकात की उन्हें नीतीश की तरफ से बड़ा ऑफर दिया गया है.
नीतीश कुमार चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय जदयू में कर दें. इसको लेकर प्लान किया जा रहा है. उपेंद्र कुशावाहा को नीतीश कुमार विधान पार्षद भी बना सकते हैं. वहीं मंत्रिमंडल में भी कुशवाहा को जगह मिलने की खबर आ रही है.
वैसे कुशवाहा ने नीतीश कुमार के ऑफर पर अब तक के सहमति तो नहीं दी है, लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक के दौरान उन्होंने इस बात के संकेत जरूर दिए हैं कि उनके पास भविष्य की राजनीति के लिए विकल्प खुले हुए हैं. पिछले दिनों विधानसभा में तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के ऊपर टिप्पणी की थी तब कुशवाहा नीतीश कुमार के पक्ष में उतर आए थे.
इसके बाद ही यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. इसके बाद में गुपचुप तरीके से उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात की. इस बात की पुष्टि कुशवाहा ने खुद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की बैठक के दौरान की थी. राज्य में लोकसभा, विधानसभा व राज्यसभा की सभी सीटें भर गई हैं. सिर्फ विधान परिषद की 18 सीटें खाली हैं, जिनमें 12 मनोनयन कोटे की और दो विधानसभा कोटे की सीटें हैं. 12 सीट में से जदयू कोटे में करीब 6 सीट आएगी.
चुनाव के ठीक पहले महागठबंधन से खुद को अलग कर लिया था
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले महागठबंधन से खुद को अलग कर लिया था. कुशवाहा ने ओवैसी की एमआईएमआईएम और मायावती की बसपा के साथ मिलकर गठबंधन बनाया और बिहार में चुनाव लड़ा ओवैसी की पार्टी 5 सीटें जीतने में सफल रहे, जबकि बसपा के खाते में 1 सीट आई.
लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का खाता भी नहीं खुल सका. अब कुशवाहा अपनी राजनीति को हाशिए पर देखते हुए एडजस्टमेंट की तलाश में है. उपेंद्र कुशवाहा अगर नीतीश कुमार के साथ जाते हैं तो नीतीश के लिए यह लव कुश समीकरण को एक बार फिर से मजबूत करने वाली बात होगी.
खुद कुशवाहा भी नीतीश कुमार के समर्थन में इन दिनों बयान दे रहे हैं. हालांकि नीतीश चाहते हैं कि कुशवाहा अपनी पार्टी का पूरी तरह से जदयू में भी ले कर दे. कुछ इसी तरह की चर्चा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को लेकर भी विधानसभा चुनाव के पहले हो रहा था, लेकिन जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी का विलय जदयू में नहीं किया. ऐसे में सवाल यह है कि क्या कुशवाहा अपनी राजनीतिक पहचान को खत्म करते हुए एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ होने के लिए रालोसपा का विलय करने को तैयार होंगे.