यूपी: सांसदी-विधायकी गंवाने वाले नेताओं की फेहरिस्त में हुआ इजाफा, सभी दलों के माननीय हैं शामिल
By राजेंद्र कुमार | Published: April 30, 2023 08:11 PM2023-04-30T20:11:00+5:302023-04-30T20:30:16+5:30
यूपी के नौ बड़े नेता अदालत से मिली सजा के कारण संसद/विधानसभा की सदस्यता गंवा चुके हैं। जिन नेताओं पर कोर्ट के आदेश से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का चाबुक चला है, उनमें भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा के सांसद एवं विधायक शामिल है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश करीब 25 करोड़ की आबादी वाला भारत का सबसे बड़ा राज्य है। सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों और 403 विधानसभा सीटों वाला यह राज्य अन्य प्रदेशों के मुकाबले देश में खास राजनीतिक महत्व रखता है। वर्तमान समय में यह राज्य देश में एक अनोखा रिकॉर्ड बना रहा है। यह रिकॉर्ड है, आपराधिक मामलों में सजा पाने से सदस्यता खोने वाले सांसदों और विधायकों की लंबी होती जा रही फेहरिस्त का।
यूपी के नौ बड़े नेताओं की अदालत से मिली सजा के चलते सदस्यता खत्म हो गई है। जिन नेताओं पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की चाबुक चली है उनमें भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा के सदस्यों पर सांसद एवं विधायक शामिल है। अभी इस संख्या में और इजाफा होगा क्योंकि विभिन्न दलों के तमाम सांसद और विधायकों के प्रकरणों की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में हो रही है।
यूपी में सदस्यता समाप्त होने के ताजा मामला गाजीपुर के बसपा के सांसद अफजाल अंसारी का है। अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में गत शनिवार को चार साल की सजा सुनाई गई है। चार साल की सजा सुनाये जाने की वजह से अफजाल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गए हैं।
अब जल्दी ही लोकसभा से उनकी सदस्यता को खत्म करने संबंधी कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि 10 जुलाई 2013 को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लिली थामस बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी विधायक या सांसद को किसी आपराधिक मामले में न्यूनतम दो साल की सजा होती है तो वह संसद या विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य माना जाएगा।
इसी फैसले के तहत इस वर्ष सपा के कद्दावर नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम भी सजा पाने पर विधानसभा की सदस्यता गंवा चुके हैं। आजम को वर्ष 2019 में घृणा फैलाने वाला भाषण देने पर रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी।
इसी प्रकार मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से वर्ष 2022 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे, विक्रम सैनी को कोर्ट ने दंगे के मामले में दोषी पाया तो उन्हें अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रशीद मसूद की भी एमबीबीएस घोटाले में चार साल की सजा मिलने पर सदस्यता चली गई थी।
इसी तरह हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल भी हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने के बाद अयोग्य हो चुके हैं। योगी सरकार शासनकाल में हुए उन्नाव के चर्चित सामूहिक दुष्कर्म केस में बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता भी उम्रकैद की सजा पाने के बाद खत्म हो चुकी है।
वहीं फैजाबाद लोकसभा सीट से सपा के सांसद रहे मित्रसेन यादव भी धोखाधड़ी के मामले में सात साल की सजा मिलने पर सांसदी खो बैठे थे। मित्रसेन यादव का साल 2015 में निधन हो गया था। जबकि फर्जी मार्क्सशीट मामले में गोसाईंगंज (अयोध्या) के भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को भी सदस्यता गवानी पड़ी थी।
अमेठी से सांसद रहे और वर्तमान में केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को भी अपनी लोकसभा सदस्यता गंवा चुके हैं और अब यूपी के नेताओं का कहना है कि जल्दी ही राज्य के कई सांसद और विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है क्योंकि सूबे के तमाम सांसद और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की अदालत में सुनवाई हो रही है। ऐसे में सदस्यता खोने वाले जनप्रतिनिधियों की फेहरिस्त निकट भविष्य में और भी लंबी होनी तय है।