लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठन को मजबूत करने के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं। इसी 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 31 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों के चुनाव होना है। मंडल और जिला अध्यक्ष के पदों पर भाजपा के हार्डकोर नेता की चुनाव जीते, इसके लिए यहां मंगलवार को हुई पार्टी की कार्यशाला में कई फैसले लिए गए। जिसके तहत यह तय किया गया है कि वर्ष 2019 के बाद सपा, बसपा, कांग्रेस और अन्य दलों से भाजपा में आए नेताओं को मंडल और जिला अध्यक्ष नहीं बन सकेंगे। इसके अलावा पार्टी के जिन नेताओं ने चुनाव के दौरान पार्टी नेता का विरोध किया था, उन्हें भी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा और जिन पार्टी नेताओं के खिलाफ कोई आपराधिक मामला चल रहा है वह भी मंडल और जिला अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
पार्टी गतिविधियों में शामिल रहे नेता भी नहीं लड़ सकेंगे चुनाव :
राजभवन के समीप विश्वेश्वरैया सभागार में भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल की मौजूदगी में हुई कार्यशाला में पार्टी की चुनाव में आचार संहिता के तहत यह फैसला लिया गया। भाजपा नेताओं के अनुसार, इसी 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 31 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों के चुनाव होंगे। उक्त दोनों पदों के चुनावों को लेकर यह तय हुआ है कि पार्टी के किसी भी नेता को मंडल अध्यक्ष तभी बनाया जा सकेगा, जब वह दो बार का सक्रिय सदस्य हो, दो बार के सक्रिय सदस्य बनने के लिए 2019 में भी सक्रिय सदस्य बनना जरूरी होगा, क्योंकि इसके बाद सक्रिय सदस्यता अभियान नहीं चला और संगठन चुनाव नहीं हुए हैं।
इस कारण से अगर सपा, बसपा, कांग्रेस या अन्य दलों से हुए नेता तथा कार्यकर्ता ने 2019 के बाद पार्टी जॉइन की है तो मंडल और जिला अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ सकेगा। यानी वह इस चुनाव के दायरे से बाहर हो जाएगा। कार्यशाला में यह भी तय किया गया है कि पार्टी के जिस भी नेता को मंडल या जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा, वह कम से कम दो बार पार्टी में किसी न किसी पद पर पदाधिकारी रहा हो और दो बार मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष रह चुके लोगों को भी रिपीट नहीं किया जाएगा, यानी उसे चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा।
इसके साथ ही पार्टी के मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष वही बन सकेंगे, जिनकी कभी भी निष्ठा संदिग्ध न रही हो, जिस पार्टी नेता या कार्यकर्ता के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है उसे चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाने का फैसला भी हुआ है। कार्यशाला के इन फैसलों को लागू करने की जिम्मेदारी जिला चुनाव अधिकारियों, सह जिला चुनाव अधिकारियों और जिलों में भेजे गए पार्टी के पर्यवेक्षकों की रहेगी।
मंडल और जिले के अध्यक्ष का चुनाव आम सहमति से हो, इसके लिए आम सहमति से ही अध्यक्ष तय करने पर ज़ोर दिया जाएगा। चुनाव कराने के लिए बनाए गए 36 पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि वह जिला चुनाव अधिकारियों से लेकर मंडल चुनाव अधिकारियों को आचार संहिता का पाठ पढ़ाया जाएगा, ताकि शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव प्रक्रिया को सम्पन्न किया जा सके।