टीएचडीसी में हिस्सेदारी मामले में उ.प्र. को 30 लाख रुपये मुकदमे के खर्च के तौर पर देने का निर्देश
By भाषा | Published: December 7, 2019 12:14 AM2019-12-07T00:14:35+5:302019-12-07T00:14:35+5:30
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को उत्तराखंड प्रशासन को चार सप्ताह के भीतर मुकदमे के खर्च के तौर पर 30 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को उत्तराखंड प्रशासन को चार सप्ताह के भीतर मुकदमे के खर्च के तौर पर 30 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। उत्तराखंड प्रशासन टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (टीएचडीसी) में हिस्सेदारी के लिए एक कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।
उत्तराखंड ने 2012 में शीर्ष अदालत में एक वाद दायर किया था और यह घोषणा करने का अनुरोध किया था कि टीएचडीसी में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी जो पूर्व में उत्तर प्रदेश को दी गई थी वह 2000 में बंटवारे के बाद अब उसे दे दी जाए। उत्तराखंड ने यह भी घोषणा करने की मांग की थी कि वह उक्त हिस्सेदारी का सही मालिक है और इसलिए टीएचडीसी शेयरों के आवंटन पर ‘डिक्री आफ इन्जंशन’ उसके पक्ष में प्रदान किया जाए।
शीर्ष अदालत ने 16 दिसम्बर 2013 को उत्तराखंड के वाद पर एकपक्षीय सुनवायी शुरू करने का निर्णय किया क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकवक्ता या प्रतिनिधि पेश नहीं हो पाये। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर करके पूर्ववर्ती आदेश को वापस लेने का आग्रह किया जिसका उत्तराखंड प्रशासन ने विरोध किया। पर्वतीय राज्य ने दावा किया कि उसका 11 सुनवायी के लिए अधिवक्ता की फीस के भुगतान के मद में 57,48,791 रुपये का कुल खर्च आया।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति रवींद्र भट की पीठ ने अपना आदेश वापस ले लिया और कहा, ‘‘परिस्थितियों की समग्रता के संबंध में, ‘इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन’ स्वीकार की जाती है जो कि इस पर निर्भर करेगी कि उत्तर प्रदेश राज्य 30,00,000 रुपये मुकदमे के खर्च के रूप से आज से चार सप्ताह के भीतर वादी/उत्तराखंड राज्य को भुगतान करे।