यूपी सरकार को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाई कोर्ट कोविड पर ऐसे आदेश न दें, जिनका पालन संभव नहीं

By विनीत कुमार | Published: May 21, 2021 09:51 PM2021-05-21T21:51:40+5:302021-05-21T22:05:22+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दिया, जिसमें सभी गांव में 2-2 एंबुलेंस की व्यवस्था करने की बात कही गई थी।

UP Govt gets relief as Supreme court says high courts must avoid passing impossible covid Orders | यूपी सरकार को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाई कोर्ट कोविड पर ऐसे आदेश न दें, जिनका पालन संभव नहीं

हाई कोर्ट ऐसे आदेश न दें, जिनका पालन संभव नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Highlightsयूपी के हर गांव में आईसीयू सुविधा वाले दो-दो एंबुलेंस के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोकयूपी में अगले चार महीनों में सभी नर्सिंग होम बेड्स को ऑक्सीजन सुविधा से लैस करने के आदेश पर भी रोक'राम भरोसे' वाली टिप्पणी को रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- ऐसी बातों को सलाह के तौर पर लें

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोविड संबंधी मामलों में हाई कोर्ट को ऐसे आदेश देने से बचना चाहिए जिन्हें लागू करना लगभग असंभव हो। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि अगले चार महीनों में यूपी में सभी नर्सिंग होम बेड ऑक्सीजन सुविधा से लैस हों। 

साथ ही हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को ये भी सुनिश्चित करने को कहा था कि एक महीने के अंदर यूपी के हर गांव में आईसीयू सुविधा वाले दो-दो एंबुलेंस मौजूद होने चाहिए। हाई कोर्ट के इन फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विनीत शऱण और बीआर गवई की बेंच ने कहा, हाई कोर्ट को ऐसे ही आदेश देने चाहिए जिसे लागू कराया जा सकता हो।

'राम भरोस' वाली टिप्पणी को सलाह के तौर पर लें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस सुनवाई के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट की 'राम भरोस' वाली टिप्पणी को रद्द करने से इनकार कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी सोमवार को की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी टिप्पणियों को सलाह के तौर पर लेनी चाहिए।

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने यूपी के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कहा था कि खासकर छोटे शहरों और गांव में ये 'राम भरोसे' चल रहा है। 
हाई कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार की बेंच ने कहा था, 'जहां तक ​​मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का सवाल है, इन कुछ महीनों में हमने महसूस किया है कि आज जिस तरह से यह खड़ा है, वह बहुत नाजुक और बुरी अवस्था में है।'

राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि 'राम भरोसे' जैसी टिप्पणी हेल्थ वर्कर्स का मनोबल कम करती हैं और अफरातफरी जैसा माहौल पैदा करती हैं।

'मामले को कौन सी बेंच सुनेगी, ये कोर्ट का अधिकार'

तुषार मेहता ने ये भी मांग रखी कि सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश दे कि सभी हाई कोर्ट में सिर्फ चीफ जस्टिस की बेंच ही कोविड से जुड़े मामले देखें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में कौन सी बेंच किस मामले को सुनेगी, यह तय करना वहां का अधिकार और इसमें सर्वोच्च न्यायालय दखल नहीं करेगा।

बता दें कि कोरोना के उत्तर प्रदेश में पिछले साल से अब तक 16.51 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले महीने रोज आने वाले मामलों की संख्या 20,000 से ऊपर पहुंच गई थी। 

देश में कई राज्यों में ऑक्सीजन और सुविधाओं की कमी की बात सामने आई थी हालांकि, यूपी सरकार ने हमेशा जोर देकर कहा कि उसके यहां कोई समस्य नहीं है जबकि लगातार कई मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाने जैसी खबरें भी सामने आ रही थीं। इन सबके बीच पिछले दिनों उन्नाव सहित कुछ जगहों पर गंगा के किनारे शवों को दफनाने या नदियों में उसे बहाये जाने की तस्वीरें भी सामने आई थी। 

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