यूपी सरकार ने बुलडोजर कार्रवाई पर SC में दाखिल किया 63 पेज का हलफनामा, कहा- दंगा से कार्रवाई का कोई लेना देना नहीं, उलमा-ए-हिंद ने चुनिंदा मीडिया रिपोर्टों को चुना...
By अनिल शर्मा | Published: June 22, 2022 11:22 AM2022-06-22T11:22:04+5:302022-06-22T11:56:49+5:30
पिछले दिनों जुमे की नमाज के बाद यूपी में हुई हिंसा के बाद आरोपी के घर पर बुलडोजर कार्रवाई को अवैध बताते हुए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था।
लखनऊः यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाल ही में राज्य में की गई संपत्तियों को उचित प्रक्रिया के बाद गिराया गया था और इसका दंगा करने के आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कोई लेना-देना नहीं था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में राज्य सरकार ने कहा है कि अलग-अलग कानूनों के अनुसार दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है।
पिछले दिनों जुमे की नमाज के बाद यूपी में हुई हिंसा के बाद आरोपी के घर पर बुलडोजर कार्रवाई को अवैध बताते हुए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि याचिकाकर्ता जमीयत उलमा-ए-हिंद ने चुनिंदा मीडिया रिपोर्टों को चुना है और उनके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं। सरकार ने SC से याचिका खारिज करने का भी आग्रह किया है। राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि इस मामले में कोई भी प्रभावित पक्ष कोर्ट में नहीं आया है। इस बिना पर याचिका खारिज करने का आग्रह किया।
Uttar Pradesh | UP govt tells SC that recent demolitions of properties carried out in the state were done following due process & were in no way related to taking action against persons accused of rioting. Govt has taken action against rioters as per a different set of statutes. pic.twitter.com/ghVsxc9CB6
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 22, 2022
यूपी सरकार द्वारा बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दायर याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने कहा था कि ''सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिये'' और अधिकारियों को कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना चाहिये। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा था कि नागरिकों में यह भावना होनी चाहिए कि देश में कानून का शासन है।
उत्तर प्रदेश के विशेष सचिव गृह राकेश कुमार मालपानी ने सुप्रीम कोर्ट में सबूतों के साथ 63 पेज का हलफनामा दाखिल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें 11 पेज हलफनामे के हैं। हलफनामे के साथ ही जावेद पंप के घर पर लगा राजनीतिक दल का साइन बोर्ड समेत नोटिस भी कोर्ट को भेजी गई हैं।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में कानपुर में हुए बुलडोजर कार्रवाई का भी जिक्र किया है। सरकार ने कहा है कि कानपुर के बिल्डर ने खुद माना कि वहां अवैध निर्माण हुआ था। गौरतलब है कि कानपुर में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मास्टरमाइंड जफर हयात हाशमी के एक करीबी के मकान पर भी बुलडोजर चला था।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी से अब निकाले जा चुके दो नेताओं द्वारा पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ की गयी कथित विवादास्पद टिप्पणी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश में कथित अवैध हिरासत, आवासों पर बुलडोजर चलाने और पुलिस की हिंसा को लेकर हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमणा को पत्र लिखा है।
पूर्व नौकरशाहों ने पत्र में कहा है कि सबसे अधिक चिंताजनक बात यह है कि कानूनी रूप से विरोध करने या सरकार की आलोचना करने अथवा प्रत्यक्ष रूप से कानूनी संसाधनों का इस्तेमाल कर असंतोष व्यक्त करने की हिम्मत करने वाले नागरिकों को क्रूर दंड देने के ‘बुलडोजर न्याय’ का विचार अब देश के कई प्रदेशों में अपवाद के बजाय नियम बन रहा है ।