UP Flood: यूपी में 18 जिलों के 1,111 गांव बाढ़ की चपेट में, 116 गांवों का संपर्क टूटा, सबसे प्रभावित जिला वाराणसी
By भाषा | Published: August 31, 2022 06:58 AM2022-08-31T06:58:51+5:302022-08-31T07:17:21+5:30
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों में 344 शरणालय बनाए गए हैं, जहां लगभग 13,496 लोगों को रखा गया है। राहत और बचाव कार्यों के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की कुल 26 टीम तैनात की गई हैं।
लखनऊः भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण उत्तर प्रदेश के 18 जिलों के 1,111 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और हजारों हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। वाराणसी में हालत बदतर हैं जहां घाटों के पानी में डूब जाने के कारण शवदाह में काफी मुश्किलें आ रही हैं। बलिया में बाढ़ के पानी में डूबने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। राहत आयुक्त कार्यालय से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में इस वक्त 18 जिलों के 1,111 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं और उनमें से 116 का संपर्क बाकी क्षेत्रों से पूरी तरह टूट गया है। बाढ़ से कुल 2,45,585 लोग प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों में 344 शरणालय बनाए गए हैं, जहां लगभग 13,496 लोगों को रखा गया है। राहत और बचाव कार्यों के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की कुल 26 टीम तैनात की गई हैं। प्रभावित इलाकों में खाद्य सामग्री के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर तथा बलिया जिलों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसके अलावा यमुना नदी जालौन, बांदा तथा प्रयागराज में, शारदा नदी लखीमपुर खीरी में और घाघरा नदी बाराबंकी में लाल निशान से ऊपर बह रही है।
Uttar Pradesh | Flood-like situation in some parts of Mirzapur as the water level of river Ganga rises above the danger level. (30.08) pic.twitter.com/qVEOAWsnEa
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 30, 2022
वाराणसी में कुल 115 गांवों के 28,499 लोग बाढ़ से प्रभावित
वाराणसी से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है जिससे तटवर्ती इलाकों के हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर बाढ़ की वजह से शवदाह में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट में शवदाह के निचले प्लेटफार्म बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं लिहाजा छत पर शव जलाए जा रहे हैं। वहीं, हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह किया जा रहा है। शवों को जलाने के लिए लोगों को चार से पांच घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। वाराणसी में कुल 115 गांवों के 28,499 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। जिले में सैलाब से 608.572 हेक्टेयर फसल भी प्रभावित हुई है।
Uttar Pradesh | A number of ghats including Lali ghat are submerged due rise in the water level of River Ganga in Varanasi pic.twitter.com/v4cmrm08yD
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 30, 2022
बलिया जिले में 27 गांवों की आबादी प्रभावित हुई
बलिया जिले में गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण 27 गांवों की आबादी प्रभावित हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रभारी पीयूष सिंह के मुताबिक, बाढ़ से बचाव के लिए तटवर्ती इलाकों के लोगों ने बांध पर शरण ली है। उन्होंने बताया कि बाढ़ के पानी में डूबने से दो कटी थाना क्षेत्र के दलन छपरा गांव में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। मृतक के परिजन को चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई है।
मिर्जापुर में 103 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं
मिर्जापुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी का जलस्तर सोमवार रात खतरे के निशान को पार कर गया। हालांकि अब उसका जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा है। जिले में 103 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें से 13 गांवों में आबादी और फसल दोनों ही प्रभावित हुई हैं। हमीरपुर से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण नदी के किनारे बसे गांवों की स्थिति अब भी सामान्य नहीं हो पाई है। हमीरपुर, मौदहा और सरीला क्षेत्रों में 2300 हेक्टेयर से ज्यादा फसल पानी में डूब गई है और कई गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है।
सहारनपुर में तेज बारिश से आया सैलाब
सहारनपुर से अपर पुलिस अधीक्षक सूरज राय के हवाले से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, शिवालिक की पहाड़ियों पर हो रही तेज बारिश के कारण जिले में सोमवार देर शाम मां शाकंभरी देवी खोल में अचानक सैलाब आ जाने से अफरा-तफरी मच गई। पानी का बहाव इतना तेज था कि एक बस और श्रद्धालुओं की कई गाड़ियां बहती चली गईं और कई तीर्थयात्री बाढ़ में फंस गए। राय ने बताया कि बाढ़ के पानी में फंसे कई श्रद्धालुओं को बाहर निकाला गया और सभी वाहनों को भी रस्से लगाकर किसी तरह किनारे पर लाया गया।