यूपी: वरुण गांधी के संसदीय क्षेत्र में उन्हें काले झंडे दिखाने पर 36 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज
By विशाल कुमार | Published: September 27, 2021 10:57 AM2021-09-27T10:57:46+5:302021-09-27T11:03:12+5:30
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि भाजपा सांसद का काफिला शुक्रवार दोपहर मोहनपुर चौराहे से गुजर रहा था, तभी भारतीय किसान यूनियन के कुछ किसानों ने उसे रोकने और काले झंडे दिखाने की कोशिश की. आरोपियों पर मास्क नहीं पहनने या सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है.
लखनऊ: दो दिन पहले अपने निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत में एक जनसभा में शामिल होने जा रहे भाजपा सांसद वरुण गांधी को कथित रूप से काले झंडे दिखाने की कोशिश करने के आरोप में 36 किसानों के खिलाफ शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों पर मास्क नहीं पहनने या सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने कहा कि आरोपी किसानों ने वरुण के काफिले में वाहनों को रोकने की भी कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप उनके और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई.
पूरनपुर थाने के थाना प्रभारी हरीश वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
हालांकि, पीलीभीत के सांसद ने न केवल आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में ट्वीट किया है, बल्कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा था. पत्र में उन्होंने गन्ने की कीमतों में पर्याप्त वृद्धि, गेहूं और धान पर बोनस, पीएम-किसान योजना के तहत अनुदान को दोगुना करने और डीजल पर सब्सिडी सहित अन्य राहत उपायों की मांग की थी.
पुलिस के अनुसार, भाजपा सांसद का काफिला शुक्रवार दोपहर मोहनपुर चौराहे से गुजर रहा था, तभी भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के कुछ किसानों ने उसे रोकने और काले झंडे दिखाने की कोशिश की.
हालांकि, मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने बीच-बचाव करते हुए आंदोलन कर रहे किसानों को रोक लिया, जिनसे तीखी नोकझोंक हुई. अंततः प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा.
अधिकारियों ने दावा किया कि आंदोलन कर रहे किसानों को कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए भी पाया गया.
पूरनपुर पुलिस स्टेशन में 21 किसानों के खिलाफ उनके नाम से मामला दर्ज किया गया था और अन्य 15 की पहचान नहीं हो सकी थी.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की लापरवाही से कार्य करना) और 270 (घातक कार्य से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना है) शामिल हैं. उन पर महामारी रोग अधिनियम, 1897 की विभिन्न धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.
एफआईआर में नामजद किसानों में शामिल देवेंद्र सिंह ने कहा कि हम इस बात से परेशान थे कि शुक्रवार को समय निर्धारित करने के बावजूद वरुण गांधी हमसे नहीं मिले. जिस बात ने हमें नाराज किया वह यह थी कि जब वह हमारे लिए ट्वीट कर सकते थे और मुख्यमंत्री को पत्र भेज सकते थे, तो उनके पास हमसे मिलने का समय नहीं था.
भारतीय किसान संघ (महाशक्ति) के जिलाध्यक्ष सिंह ने आगे दावा किया कि वह आंदोलन के दौरान मौके पर नहीं थे और गलत तरीके से मामले में उनका नाम लिया गया था.
उन्होंने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी मुलाकात की और उन्हें बताया कि प्राथमिकी में उनका नाम गलत था. मुझे बताया गया था कि सबूत के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी.
एक अन्य किसान गुरविंदर सिंह ने कहा कि मैं अन्नदाता किसान यूनियन का सदस्य हूं और वरुण गांधी से मिलने के लिए भूमचाई चौराहे पर गया था. पीलीभीत जिला प्रशासन ने उनके और कुछ किसानों के बीच एक बैठक की व्यवस्था की थी. सांसद के नहीं आने पर मैं घर के लिए निकल गया और मुझे नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ.