दिल्ली टू लखनऊ फ्लाइट में प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव की मुलाकात, क्या कांग्रेस-सपा और रालोद के बीच पकेगी खिचड़ी!
By शीलेष शर्मा | Published: October 22, 2021 05:51 PM2021-10-22T17:51:58+5:302021-10-22T17:55:20+5:30
दिल्ली से लखनऊ जाते समय एक ही विमान में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सवार थे। ऐसे में दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को करारी मात देने के लिए कांग्रेस, सपा और रालोद आपसी तालमेल कायम कर चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार रालोद नेता जयंत चौधरी से कांग्रेस चुनावी ताल मेल के लिए बराबर संपर्क बनाये हुए है। उल्लेखनीय है कि इस समय रालोद और सपा के बीच गठबंधन है, बावजूद इसके कांग्रेस अपनी कोशिशों को जारी रखे हुए है।
एक ही फ्लाइट में प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव
सपा, कांग्रेस और रालोद की तिकड़ी की संभावनाएं शुक्रवार को उस समय प्रबल हो गयी जब दिल्ली से लखनऊ जाते समय एक ही विमान में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच आगामी चुनावों को लेकर लंबी बातचीत हुई।
कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि यह बातचीत चुनाव के दौरान भविष्य के रास्ते खोल सकती है। हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस और सपा के बीच कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष करने की रणनीति में बदलाव कर गठबंधन के रास्ते से तीनों दल चुनाव मैदान में उतर पाते हैं या नहीं।
पिछले तीन दशक से सत्ता से बहार कांग्रेस अपनी जगह खोजने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है। प्रियंका गांधी ने इसे हासिल करने के लिए लखनऊ में डेरा डाल दिया है और वे पूर्वी उत्तर प्रदेश को निशाना बना कर कम से कम सौ सीटों पर अपने मज़बूत उम्मीदवारों को उतारने की रणनीति पर काम कर रही है।
महिलाओं को रोजगार की गारंटी का एजेंडा भी
पहले 40 फीसदी टिकटें, मोबाइल और स्कूटी देने जैसी घोषणा के बाद महिलाओं को रोजगार की गारंटी प्रियंका के एजेंडे पर हैं। कांग्रेस पहले ही 12000 किलोमीटर की यात्रा का कार्यक्रम चला रही है जिससे वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुन्देलखंड और पूर्वांचल में अपनी जगह बना सके।
प्रियंका के कहने पर पंजाब और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सकारों ने लखीमपुर में शहीद हुए किसानों और पत्रकार को एक एक करोड़ की आर्थिक मदद देकर यह साबित कर दिया है की कांग्रेस किसानों के मुद्दे को आगे लेकर जाना चाहती है। साथ ही ये संदेश देने की कोशिश है कि सत्ता के बहार रहते हुए भी कांग्रेस किसानों के हितों को लेकर विचार कर रही है।