UP Election 2022: बीजेपी छोड़ सपा में शामिल स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को टिकट नहीं, जानें ऊंचाहार सीट से कौन लड़ेगा चुनाव
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 24, 2022 08:09 PM2022-01-24T20:09:49+5:302022-01-24T20:11:00+5:30
Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के बाद ही श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से बगावत कर इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने टिकट नहीं दिया है। सपा ने 159 प्रत्याशियों की सूची जारी की है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करहल सीट से चुनाव लड़ेंगे। सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य को टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडे को फिर से रायबरेली की ऊंचाहार से टिकट दिया गया है। 2012 और 2017 में पांडे ने जीत दर्ज की थी।
Samajwadi Party (SP) releases a list of 159 candidates for the upcoming #UttarPradeshElections
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 24, 2022
Voting will be held in the state in 7 phases. pic.twitter.com/UcA2MEVqkf
ऊंचाहार रायबरेली से लगभग 40 किमी दूर है। इस सीट पर दलित मतदाता सबसे अधिक हैं। यहां पर यादव, मौर्या, पंडित, राजपूत, मुस्लिम, एससी, लोध, कुर्मी समेत ओबीसी मतदाता की संख्या अधिक हैं। 2017 में भाजपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य को टिकट दिया था, लेकिन सपा के मनोज पांडे से हार गए थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा मंत्री धर्म सिंह सैनी और मंत्री दारा सिंह चौहान ने भाजपा से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हुए थे। इनके अलावा भगवती सागर (कानपुर में बिल्हौर), रोशनलाल वर्मा (शाहजहांपुर में तिलहर), विनय शाक्य (औरैया में बिधूना), बृजेश प्रजापति (बांदा में तिंदवारी) और मुकेश वर्मा (फिरोजाबाद में शिकोहाबाद) थे।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की मौर्य बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य (68) मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के चकबड़ गांव रहने वाले हैं। उन्होंने 1980 में सक्रिय रूप से राजनीति में कदम रखा और लोकदल के नेता के रूप में उनकी पहचान बनी। बाद में जनता दल का गठन होने के बाद वह 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश में जनता दल के महासचिव पद पर रहे।
इसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गये। मौर्य पहली बार 1996 में बसपा से डलमऊ (रायबरेली) क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और 1997 में मायावती के नेतृत्व वाली भाजपा-बसपा गठबंधन सरकार में खादी ग्रामोद्योग मंत्री बने। मौर्य 2001 में बसपा विधानमंडल दल के नेता बने।
2002 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर वह दूसरी बार विधायक चुने गये। मायावती ने 2007 में उन्हें विधानपरिषद का सदस्य बनाया और बसपा सरकार में राजस्व मंत्री बने। मौर्य बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बसपा ने 2009 में पडरौना (कुशीनगर) विधानसभा सीट पर उपचुनाव में मौर्य को उम्मीदवार बनाया और चुनाव जीतने पर उन्हें पंचायती राज मंत्री का पद दिया।
2012 में मौर्य फिर पडरौना से चुनाव जीते और बसपा ने उन्हें विधानसभा में पार्टी का नेता बनाया। मौर्य ने 22 जून, 2016 को अचानक बसपा प्रमुख मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए पत्रकार वार्ता में बसपा छोड़ने की घोषणा की और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के टिकट पर 2017 में वह पांचवीं बार पडरौना विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए और उन्हें योगी आदित्यनाथ की सरकार में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बनाया गया। स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य बदायूं से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं।
(इनपुट एजेंसी)