यूपी: गुर्जर और राजपूत समाज के झगड़े से बढ़ी सीएम योगी की परेशानी
By राजेंद्र कुमार | Published: May 31, 2023 07:55 AM2023-05-31T07:55:35+5:302023-05-31T08:05:29+5:30
यूपी के सहारनपुर में गुर्जर और राजपूत बिरादरी के लोग एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं। इस विवाद के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेताओं की परेशानी बढ़ गई है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में छोटी सी बात को लेकर गुर्जर और राजपूत समाज के बीच तनाव बढ़ता हुआ अब सड़कों पर पहुंच गया है। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी अब यह विवाद जिले के बाहर फैलने लगा है और सहारनपुर में तो गुर्जर और राजपूत बिरादरी के लोग एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं।
इस विवाद के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की परेशानी बढ़ गई है। इस विवाद के बढ़ने से आगामी लोकसभा चुनावों भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिसके चलते भाजपा के नेता परेशान हैं फिलहाल सीएम योगी इस विवाद को ठंडा करने की मुहिम में जुटे हैं। सहारनपुर में इस विवाद की शुरुआत गत सोमवार को निकाली गई गुर्जर गौरव यात्रा से हुई। जिला प्रशासन ने इस यात्रा को निकाले जाने की अनुमति ना देते हुये पूरे जिले में धारा 144 लागू कर दी थी।
यही नहीं इलाके के डीएम और एसएसपी ने यात्रा के रूट पर बैरिकेडिंग कर अधिकारियों की तैनाती भी कर दी लेकिन प्रशासन के प्रबन्धों को दरकिनार करते हुये हजारों की संख्या में गुर्जर बिरादरी के लोग बाहर सड़क पर आ गए और जिले में करीब 25 किलोमीटर तक इन लोगों ने गुर्जर गौरव यात्रा निकली। इस यात्रा का करणी क्षत्रिय सेना ने विरोध किया और गुर्जरों की यात्रा निकलने के बाद करणी क्षत्रिय सेना के लोग धरने पर बैठ गए। पुलिस ने समझा बुझाकर धरना खत्म कराया। गुर्जरों की यात्रा को लेकर कई इलाकों में कुछ समय के लिए इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है लेकिन अभी भी सहारनपुर के कई इलाके में तनाव बना हुआ है।
सहारनपुर प्रशासन के अफसरों का कहना है कि राजपूत और गुर्जरों के बीच विवाद नया नहीं है। सम्राट मिहिर भोज ठाकुर थे या फिर गुर्जर? इसी बात को लेकर दोनों समाजों में तनातनी हो जाती है। सहारनपुर का विवाद भी वैसा ही है लेकिन अब इस विवाद की आंच पड़ोसी राज्यों राजस्थान और हरियाणा तक पहुंच सकती है। जिसके चलते अब भाजपा के नेता इस विवाद को ठंडा करने में लगे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि राजपूत और गुर्जर जाति के लोग पिछले कुछ चुनावों से भाजपा के परंपरागत वोटर बन गए हैं।
अब अगर ये दोनों समाज के लोग आपस में लड़ने लगे तो पार्टी का चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है। वैसे भी कई अलग-अलग कारणों से जाट बिरादरी के लोग भाजपा से नाराज चल रहे हैं। बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी का इसका नुकसान भी उठाना पड़ा था। पश्चिमी यूपी में गुर्जर और जाट दो बड़े वोट बैंक हैं। दोनों ही ओबीसी कोटे से हैं।
आमतौर पर दोनों ही बिरादरी एक-दूसरे की विरोधी रही हैं, लेकिन मुजफ्फरनगर दंगों के बाद दोनों भाजपा के साथ जुट गए। इसीलिए 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की सभी सीटें बीजेपी को मिल गईं परंतु बीते विधानसभा चुनावों में किसान आंदोलन के बाद जाट वोटरों का एक बड़ा तबका रालोद के साथ जुड़ गया।
ऐसे में अब इस नए विवाद से पश्चिम यूपी में भाजपा को नुकसान हो सकता है। इस आशंका के चलते भाजपा नेता इस झगड़े से अपना दामन कैसे बचाए? इसकी कवायद में जुट गए है। बताया जा रहा है कि जल्दी ही भाजपा के बड़े नेता सहारनपुर जाएंगे और इस विवाद को शांत करने का प्रयास करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उचित समय पर सहारनपुर जाकर गुर्जर और राजपूत समाज के नेताओं से मिलेंगे ताकि लोकसभा के चुनावों में गुर्जर और राजपूत समाज की तनातनी का असर भाजपा पर न पड़े।