उन्नाव रेप: बलात्कार पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए AIIMS पहुंचे जज, अस्पताल में बना अस्थाई कोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 11, 2019 10:44 AM2019-09-11T10:44:20+5:302019-09-11T10:45:57+5:30
अदालत ने शनिवार के आदेश में एम्स के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया कि एक अनुभवी नर्सिंग अधिकारी को तैनात किया जाए जो पूरी कार्यवाही के दौरान बलात्कार पीड़िता की देखभाल के लिए सेमिनार हॉल में मौजूद रहेगी
दिल्ली हाई कोर्ट के एम्स के ट्रॉमा सेंटर में एक अस्थायी कोर्ट बनाने की मिली इजाजत के बाद आज 'बंद कमरे' में उन्नाव बलात्कार पीड़िता के बयान दर्ज कराने की शुरुआत हुई।
पीड़िता के बयान दर्ज करने के लिए न्यायाधीश एम्स पहुंचे। एम्स में अस्थाई अदालत बनाई गई है। जब तक गवाही पूरी नहीं होती तब तक रोजाना आधार पर यह कार्यवाही जारी रहेगी।
अदालत ने शनिवार के आदेश में एम्स के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया कि एक अनुभवी नर्सिंग अधिकारी को तैनात किया जाए जो पूरी कार्यवाही के दौरान बलात्कार पीड़िता की देखभाल के लिए सेमिनार हॉल में मौजूद रहेगी और उसका इलाज कर रहे चिकित्सकों के संपर्क में रहेगी और उन्हें उसकी चिकित्सकीय हालत की जानकारी देती रहेगी।
अदालत के आदेश के अनुसार 'पीड़िता को स्ट्रेचर पर लाया जाएगा और सेमिनार हॉल में चबूतरे के दाहिनी तरफ रखा जाएगा ताकि वह अदालत को देख सके न कि दोनों पक्षों के वकीलों को। कार्यवाही बंद कमरे में होगी और इस अदालत की अनुमति के बगैर सेमिनार हॉल, अदालत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।'
अदालत ने तिहाड़ के जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि दोनों आरोपियों को सुबह दस बजे सुनवाई स्थल पर लाने के लिए विशेष व्यवस्था की जाए।
अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि सेमिनार हॉल की लॉबी में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए जाएं। अदालत ने कहा कि कंप्यूटर शाखा के टेक्नीशियन को बुधवार से अस्पताल की अस्थायी अदालत में पीड़िता की गवाही पूरी होने तक तैनात किया जाए।
आदेश में साथ ही कहा था कि शिकायतकर्ता के वकील को सुनिश्चित करना चाहिए कि अदालत में एक से अधिक सहयोगी नहीं रहें जबकि बचाव पक्ष के प्रत्येक वकील के दो से अधिक सहायक नहीं हों और वे वकील वाले परिधान में नहीं रहें।
इस मामले में बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर 2017 में पीड़िता से कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस केस में पीड़िता का बयान दर्ज कराने के लिए एम्स में अदालत लगाने की मंजूरी 6 सितंबर को दी थी। इसके बाद 7 सितंबर को केस की सुनवाई कर रहे जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने एम्स के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में अस्थायी अदालत बनाने के निर्देश दिए जहां पीड़िता 28 जुलाई को हुए सड़क दुर्घटना के बाद फिलहाल भर्ती है।
‘बंद कमरे’ में कार्यवाही के दौरान वहां लोग एवं मीडियाकर्मी मौजूद नहीं होंगे।
पिछली सुनवाई में अदालत ने दिये थे ये अहम निर्देश
अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा था कि गवाही की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं होगी और चिकित्सा अधीक्षक से आग्रह किया कि सुनिश्चित करें कि सेमिनार हॉल में कार्यवाही के दौरान वहां लगे सीसीटीवी कैमरे बंद रहें।
इसने अधिकारियों से कहा कि सुनिश्चित करें कि महिला आरोपी के आमने-सामने नहीं हो।
क्या है मामला
आरोप है कि सेंगर ने सह-आरोपी शशि सिंह के साथ षड्यंत्र कर 2017 में कथित तौर पर महिला का अपहरण किया और उससे बलात्कार किया। उस समय वह नाबालिग थी।