सामान्य वर्ग आरक्षण ने शिक्षकों की नियुक्तियों में फंसाया पेच, उच्च शिक्षण संस्थानों में बनी भ्रम की स्थिति

By रामदीप मिश्रा | Published: June 19, 2019 09:39 AM2019-06-19T09:39:42+5:302019-06-19T09:39:42+5:30

मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश में आरक्षण लागू करने की बात कही गई थी, जोकि असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर तीनों पर लागू होना था। कई संस्थानों ने इस व्यवस्था को लागू कर दिया और कई ने पुराने प्रक्रिया के आधार पर ही नियुक्तियां शुरू कर दीं।

universities facing problem in teachers appointment due to economic weaker reservation | सामान्य वर्ग आरक्षण ने शिक्षकों की नियुक्तियों में फंसाया पेच, उच्च शिक्षण संस्थानों में बनी भ्रम की स्थिति

Demo Pic

आर्थिक रूप से आरक्षण देने के मामले में किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान को समझ नहीं आ रहा है कि शिक्षकों की भर्ती में इसे लागू करें या नहीं। उच्च शिक्षण संस्थान में नई आरक्षण व्यवस्था के चलते शिक्षकों की भर्तियां करने में परेशानी हो रही है और संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का भी रुख कर चुके हैं और आयोग भी इस संबंध में फैसला नहीं कर पाया। उसने इस मामले को मानव संसाधन विकास मंत्रालय पाले में डाल दिया है।     

दरअसल, अब तक आरक्षण सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर पर लागू किया गया था, लेकिन दो साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संस्थानों में विभागवार आरक्षण लागू करने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आई और उस फैसले में बदलाव किया गया। इस बदलाव के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए आदेश जारी किए। 

आदेश जारी होते ही उच्च शिक्षण संस्थानों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई। मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश में आरक्षण लागू करने की बात कही गई थी, जोकि असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर तीनों पर लागू होना था। कई संस्थानों ने इस व्यवस्था को लागू कर दिया और कई ने पुराने प्रक्रिया के आधार पर ही नियुक्तियां शुरू कर दीं।

खबरों के मुताबिक, मानव संसाधन मंत्रालय के आदेश के बाद उपजी भ्रम की स्थिति के चलते विवाद बढ़ गया, जिसके बाद उच्च शिक्षण संस्थानों ने यूजीसी का दरवाजा खटखटाया और इस मसले का हल निकालने के लिए राय मांगी, लेकिन इसका हल निकालने में वह भी विफल हो गया और उसने फिर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट कर आदेश जारी करने के लिए कहा। अभी तक इस संबंध में फैसला नहीं आया है। हालांकि आधिकारिक रूप से नियुक्तियों पर रोक लगने की कोई बात सामने नहीं आई है। 

आपको बता दें कि उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 7000, उत्तर प्रदेश में 13709, बिहार 9000, झारखंड 1182 और उत्तराखंड 300 हजार पद खाली हैं। 

Web Title: universities facing problem in teachers appointment due to economic weaker reservation

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे