केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने RPF को बताया शक्तिहीन, और मांगे अधिकार
By भाषा | Published: January 17, 2019 02:17 AM2019-01-17T02:17:56+5:302019-01-17T02:17:56+5:30
गोयल ने कहा कि वर्तमान रेलवे अधिनियम में संशोधन केवल ‘‘एक तकनीकी बिन्दु’’ है। उन्होंने आरपीएफ और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) से रेलवे तथा यात्रियों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने का अनुरोध किया।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को ‘‘शक्तिहीन’’ संगठन बताते हुए रेलवे राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने बुधवार को इसे और शक्तियां देने का पुरजोर समर्थन किया। हालांकि मंत्रालय के उनके वरिष्ठ मंत्री पीयूष गोयल ने सिन्हा की चिंताओं को कमतर करते हुए कहा कि उन्हें अपने काम में आगे बढ़ना चाहिए।
गोयल ने कहा कि वर्तमान रेलवे अधिनियम में संशोधन केवल ‘‘एक तकनीकी बिन्दु’’ है। उन्होंने आरपीएफ और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) से रेलवे तथा यात्रियों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने का अनुरोध किया।
रेलवे की सुरक्षा पर एक सम्मेलन में सिन्हा और आरपीएफ महानिदेशक अरुण कुमार दोनों ने चलती ट्रेन में यात्रियों से संबंधित अपराधों का पंजीकरण, जांच बल को सौंपने की वकालत की। फिलहाल, अगर आरपीएफ को किसी अपराध का पता चलता है तब भी मामला आगे की जांच के लिए जीआरपी को सौंपा जाता है।
सिन्हा ने कहा, ‘‘आरपीएफ शक्तिहीन संगठन है। यह सुरक्षा प्रदान करने में शामिल है लेकिन इसके पास कोई शक्ति नहीं है। क्षमता और प्रयासों के बावजूद, आरपीएफ को वे शक्तियां नहीं मिलीं जिसका वह हकदार है। हालांकि रेलवे परिसर में होने वाली हर घटना के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन, वास्तविकता है कि (रेलवे संपत्ति की) देखभाल के अलावा आरपीएफ के पास कोई महत्वपूर्ण शक्ति नहीं है। मुझे निजी रूप से लगता है कि कानून में एक संशोधन समय की मांग है।’’
इस बीच, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 से पिछले साल आरपीएफ द्वारा की गई गिरफ्तारियों में तीन गुना बढोत्तरी हुई है। वर्ष 2014 में बल ने 1381 लोगों को गिरफ्तार किया था जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 6367 रहा।