सितंबर में अंतिम वर्ष की परीक्षा पर यूजीसी अड़ा, सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 31, 2020 06:29 AM2020-07-31T06:29:28+5:302020-07-31T06:29:28+5:30
विशेेषज्ञ समिति ने पुनर्विचार रिपोर्ट में अंतिम सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑफलाइन, ऑनलाइन या मिश्रित प्रक्रिया से सितंबर अंत में कराने की सिफारिश की है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं सितंबर के अंत में कराने के निर्णय को उचित ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देशभर में छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को बचाने के लिए ऐसा किया गया है. यूजीसी ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने संबंधी 6 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर 50 पेज का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है.
इस आदेश को महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना की युवा इकाई 'युवा सेना' के मुखिया एवं पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 31 विद्यार्थियों और अंतिम वर्ष के छात्र कृष्णा वाघमारे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर दायर जवाबी हलफनामे में यूजीसी ने कहा है कि इस साल जून में कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए उसने विशेषज्ञ समिति से 29 अप्रैल के दिशा निर्देशों पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था.
अप्रैल के दिशा निर्देशों में विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से कहा गया था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई में आयोजित करें. विशेेषज्ञ समिति ने पुनर्विचार रिपोर्ट में अंतिम सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑफलाइन, ऑनलाइन या मिश्रित प्रक्रिया से सितंबर अंत में कराने की सिफारिश की. यूजीसी ने 6 जुलाई को इसे मंजूरी दी और परिवर्तित दिशा निर्देश जारी किए.
महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों ने अपने क्षेत्र के विश्वविद्यालयों को परीक्षा न करवाने का आदेश दिया है. लेकिन, यूजीसी का कहना है कि राज्यों को यह अधिकार नहीं है. संविधान ने ये अधिकार केंद्र कोे दिए हैं और केंद्र की ओर से यूजीसी ने यह फैसला किया है. एचआरडी मंत्रालय ने उसे मंजूरी दी है. चूंकि यह नीतिगत फैसला है, इसलिए अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
क्या है याचिकाओं में
ठाकरे समेत अन्य की याचिकाओं में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि मौजूदा हालात को देखते हुए अंतिम वर्ष की परीक्षाएं नहीं कराई जाएं और छात्रों के पिछले प्रदर्शन या आंतरिक आकलन के आधार पर ही नतीजे घोषित किए जाएं. इन याचिकाओं में बिहार और असम में बाढ़ की वजह से लाखों छात्रों की परेशानियों और कई राज्यों द्वारा कोविड-19 महामारी की वजह से राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं रद्द करने के निर्णय सहित अनेक मुद्दे उठाए गए हैं. न्यायालय ने इस मामले में 27 जुलाई को केंद्र और यूजीसी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. यह मामला 31 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.