UGC चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार का इंटरव्यू: CUET के गिनाए फायदे, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और क्रेडिट प्वॉइंट सिस्टम की शुरुआत का भी ऐलान

By शरद गुप्ता | Published: March 30, 2022 09:36 AM2022-03-30T09:36:24+5:302022-03-30T14:33:55+5:30

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से देश में उच्च शिक्षा संबंधित मुद्दों पर बात की। पढ़ें उनसे बातचीत के अंश

UGC Chairman Prof. M Jagadesh Kumar interview: talks about benefits of CUET, online courses and introduction of credit point system | UGC चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार का इंटरव्यू: CUET के गिनाए फायदे, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और क्रेडिट प्वॉइंट सिस्टम की शुरुआत का भी ऐलान

उच्च शिक्षा में नए आयाम जोड़ेगी प्रौद्योगिकी: प्रो. एम जगदीश कुमार

- यूजीसी द्वारा सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में कुछ बताइए.

यूजीसी के सामने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में सुझाए गए सुधारों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की चुनौती है. इसके लिए सबसे पहले यूजीसी को सक्षम बनना होगा. हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहुंच, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे पांच स्तंभों पर आधारित है. हमारा कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे लाखों छात्रों को उच्च शिक्षा उपलब्ध हो, जिन्हें दूरी, वित्तीय समस्याओं या किसी अन्य कारण से इस तक पहुंच पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा है.

- आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे?

उच्च शिक्षा को उनके दरवाजे तक पहुंचाकर. अगर हमारा कोई स्नातक छात्र किसी कारण से दूसरे वर्ष में पढ़ाई छोड़ देता है, तो अब उसका करियर वहीं पर समाप्त नहीं होगा. हमने अपने सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों में बहु-निकास, बहु-प्रवेश योजना शुरू की है. अब, विद्यार्थी कुछ वर्षों बाद भी वापस आ आकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं.

- लेकिन जब तक वह कोर्स पूरा नहीं कर लेता, तब तक क्या बेरोजगार नहीं रहेगा?

नहीं, हमने व्यवस्था में कुछ इस तरह से सुधार किया है कि प्रथम वर्ष के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थी को प्रमाण पत्र मिलेगा और दो साल बाद छोड़ने वाले को डिप्लोमा. हम ऐसे विद्यार्थी को एक या दो महीने का कौशल-आधारित प्रशिक्षण भी प्रदान करेंगे ताकि वह उसके आधार पर नौकरी पा सके.

- क्या आप ऑनलाइन कोर्स भी शुरू कर रहे हैं?

जी हां, हमारे कुछ उत्कृष्ट विश्वविद्यालय पूरी तरह से ऑनलाइन कार्यक्रम प्रस्तुत करने जा रहे हैं - यह प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, तीन साल की डिग्री, चार साल की डिग्री, दो साल की मास्टर्स या एक वर्षीय पीजी डिग्री हो सकती है. तो, शीर्ष 100- राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क वाले सभी विश्वविद्यालयों या राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की न्यूनतम 3.6 ग्रेडिंग वाले विश्वविद्यालय स्वत्वाधिकारी शैक्षणिक संस्थान (ईईआई) बन सकेंगे.

- क्या हमारे विश्वविद्यालयों के पास तकनीक उपलब्ध है?

हमारे यहां सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के पास भी अपने संसाधनों को डिजिटल सामग्री में बदलने की तकनीक नहीं है और न ही इसे होस्ट करने और निरंतर मूल्यांकन करने  के लिए सर्वर उपलब्ध हैं. वे तकनीकी सहायता प्राप्त करने के लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी (एडुटेक) का सहयोग ले सकते हैं.

- क्या विश्वविद्यालयों को प्रौद्योगिकी के लिए एडुटेक को भुगतान करना पड़ेगा?

जी हां, संस्थानों को भुगतान करना होगा. लेकिन, एडुटेक का सिलेबस और परीक्षा पर कोई नियंत्रण नहीं होगा. पाठ्यक्रम और डिग्री विश्वविद्यालयों द्वारा ही प्रदान की जाएगी.

- ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड क्या होगा?

प्रवेश के लिए न्यूनतम अंक की बाध्यता नहीं होगी. 12 वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकेगा. सभी ऑनलाइन डिग्रियां अनेक भारतीय भाषाओं में भी प्रदान की जाएंगी.

- क्या यूजीसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत क्रेडिट प्वॉइंट सिस्टम भी शुरू कर रहा है?

एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स के रूप में हमारे द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा एक और क्रांतिकारी सुधार है. आपको किसी विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने की आवश्यकता नहीं है. आप विभिन्न विश्वविद्यालयों से विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ ले सकते हैं और एबीसी में अपने क्रेडिट स्टोर कर सकते हैं. यहां संग्रहित क्रेडिट एक निश्चित सीमा तक पहुंच जाता है, तो छात्र को एक डिग्री प्रदान की जाएगी. इससे कामकाजी पेशेवर भी नए कोर्स कर सकेंगे.

- सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के क्या फायदे होंगे?

कुछ शिक्षा बोर्ड उदारतापूर्वक अंकन करते हैं, जबकि कुछ सख्त होते हैं. तो, किसी बोर्ड में कई छात्रों को 99 प्रतिशत अंक मिलते हैं, जबकि अन्य में टॉपर को भी केवल 80 प्रतिशत अंक मिलते हैं.इसके अलावा, हो सकता है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा एक ही दिन आयोजित की जा रही हो, जिससे छात्रों को दोनों में उपस्थित होने का अवसर नहीं मिलेगा. सीयूईटी इन विसंगतियों का ध्यान रखेगी. मैंने राज्यों के सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों से भी इस प्रणाली का पालन करने का आग्रह किया है.

- उच्च शिक्षण संस्थानों में नैतिक और नैतिक शिक्षा शुरू करने के पीछे क्या विचार है?

शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी को  ऐसा अच्छा इंसान बनाना है जिसे अपनी उत्तरदायित्वों का बोध हो. उदाहरण के लिए, शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने पर ध्यान देना, अपव्यय में कमी लाना, विश्वविद्यालय के भीतर मल-जल के पानी का पुनर्चक्रण-ये सभी बातें दीर्घकालिक जीवन की युक्तियां हैं. शिक्षकों को भी ऐसी नैतिकता और मूल्यों के प्रति सजग रहना चाहिए.

Web Title: UGC Chairman Prof. M Jagadesh Kumar interview: talks about benefits of CUET, online courses and introduction of credit point system

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