मराठा आरक्षण मामले में उद्धव ठाकरे सरकार के फैसले पर रोक, SC में बड़ी बेंच करेगी मामले की सुनवाई
By अनुराग आनंद | Published: September 9, 2020 03:40 PM2020-09-09T15:40:26+5:302020-09-09T15:49:46+5:30
महाराष्ट्र में फिलहाल मराठा आरक्षण पर उद्धव ठाकरे सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को नौकरी और शिक्षा में आरक्षण के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां उच्चतम न्यायलय ने सरकारी नौकरियों व शैक्षिक संस्थानों में 2020-21 सत्र के लिए आरक्षण पर रोक लगा दी है।
एनडीटीवी रिपोर्ट की मानें तो फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने मामले को विचार के लिए बड़ी बेंच में भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PG दाखिलों को छेड़ा नहीं जाएगा। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि मामले के लिए बड़ी बेंच का गठन करेंगे जोकि मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करेगी।
इससे पहले मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार ने ये कहा था-
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि राज्य में 15 सितंबर तक जनस्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान विभागों के अलावा 12 फीसदी मराठा आरक्षण आधार पर रिक्त स्थानों की भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जायेगी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने इसके साथ ही बंबई उच्च न्यायालय के आदेश और मराठा समुदाय के लिये शिक्षा और रोजगार में आरक्षण संबंधी महाराष्ट्र के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई एक सितंबर के लिये स्थगित कर दी थीं।
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा- महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने पिछले दिनों कहा है कि महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है तथा इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
वह यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शिव संग्राम पार्टी के नेता विनायक मेटे द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में प्रभावी ढंग से अपना पक्ष नहीं रख रही है। थोराट ने कहा कि मराठा आरक्षण पर कैबिनेट की एक उपसमिति है, जिसमें वह भी शामिल हैं।
मराठा आरक्षण 2018 में किया गया था लागू
महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के मामलों में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण की व्यवस्था के लिये राज्य में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण कानून, 2018 लागू किया गया था।
बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 27 जून को अपने फैसले में इस कानून को सही ठहराते हुये कहा था कि 16 फीसदी का आरक्षण न्यायोचित नहीं है और इस कानून के तहत रोजगार के लिये 12 प्रतिशत तथा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 13 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।
उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील लंबित हैं। शीर्ष अदालत में सात जुलाई को इस मामले में पेश कुछ वकीलों ने कहा था कि इन याचिकाओं पर न्यायालय में सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हो सकता है कि इस पर उचित तरीके से न्याय नहीं हो सके।